आरबीआई ने फिर नहीं किया रेपो रेट में बदलाव जानें इसके महत्व और प्रभाव
परिचय
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने लगातार नौवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। यह रेपो रेट 6.5% पर स्थिर है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के बाद यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक का ध्यान मुख्य रूप से महंगाई पर रहेगा, न कि ग्रोथ पर।
रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर केंद्रीय बैंक, जैसे कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक धनराशि उधार देती है। जब देश में महंगाई बढ़ जाती है, तो आरबीआई रेपो रेट में बदलाव करती है ताकि महंगाई पर नियंत्रण पाया जा सके।
रेपो रेट का इतिहास
रेपो रेट में आखिरी बदलाव फरवरी 2023 में किया गया था। पिछले 25 वर्षों में यह दूसरी बार है जब लंबे समय तक रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। इस बार भी आरबीआई ने ग्रोथ की बजाय महंगाई को अधिक महत्व दिया है और रेपो रेट को 6.5% पर बरकरार रखा है।
महंगाई पर रेपो रेट का प्रभाव
रेपो रेट में बदलाव का सीधा प्रभाव बैंकों के उधार देने की दरों पर पड़ता है। जब रेपो रेट बढ़ती है, तो बैंक अपनी उधार दरें भी बढ़ा देते हैं, जिससे लोन महंगे हो जाते हैं। इससे लोगों की खरीदारी की क्षमता कम होती है, जिससे महंगाई पर काबू पाया जा सकता है। वहीं, रेपो रेट में कमी होने पर लोन सस्ते हो जाते हैं, जिससे उपभोक्ता खर्च बढ़ता है और अर्थव्यवस्था में तेजी आती है।
वर्तमान रेपो रेट के प्रभाव
वर्तमान में 6.5% की रेपो रेट का मतलब यह है कि होम लोन, कार लोन और अन्य प्रकार के लोन की ईएमआई में कोई बदलाव नहीं होगा। यह स्थिरता बैंकों और उधारकर्ताओं दोनों के लिए फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि इससे उन्हें अपने वित्तीय योजनाओं में स्थिरता मिलती है।
निष्कर्ष
आरबीआई की यह निर्णय महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे बैंकों को भी स्थिरता मिलती है और उपभोक्ताओं को अपने वित्तीय योजनाओं को बनाने में सहूलियत होती है। रेपो रेट का स्थिर रहना एक सकारात्मक संकेत है कि आरबीआई महंगाई पर काबू पाने के लिए प्रतिबद्ध है।