जाने स्टॉपलॉस क्या होता है
परिचय
जाने स्टॉपलॉस क्या होता है , शेयर बाजार में निवेश करना एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है, लेकिन इसके साथ कई जोखिम भी जुड़े होते हैं। इन जोखिमों को कम करने और निवेश की सुरक्षा के लिए विभिन्न उपकरण और रणनीतियाँ विकसित की गई हैं। इनमें से एक प्रमुख उपकरण है ‘स्टॉपलॉस’। स्टॉपलॉस का सही उपयोग करके निवेशक अपनी हानि को सीमित कर सकते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव से बच सकते हैं। इस लेख में, हम स्टॉपलॉस के महत्व, इसके उपयोग और इससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
स्टॉपलॉस क्या है?
स्टॉपलॉस एक ऐसा आदेश है जिसे निवेशक अपने ब्रोकर के माध्यम से सेट करते हैं ताकि किसी विशेष शेयर की कीमत एक निश्चित स्तर तक गिरने पर उसे स्वतः बेच दिया जाए। यह निवेशक को अत्यधिक हानि से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है। उदाहरण के लिए, यदि आपने किसी कंपनी के शेयर 100 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से खरीदे हैं और आप अधिकतम 10% का नुकसान सहने के लिए तैयार हैं, तो आप 90 रुपये पर स्टॉपलॉस सेट कर सकते हैं। जब भी उस शेयर की कीमत 90 रुपये तक गिरेगी, आपके शेयर स्वतः बेच दिए जाएंगे।
स्टॉपलॉस का महत्व
- हानि नियंत्रण: स्टॉपलॉस के सबसे बड़े फायदे में से एक है हानि को नियंत्रित करना। यह निवेशक को अनियंत्रित नुकसान से बचाता है।
- भावनात्मक निर्णयों से बचाव: बाजार के उतार-चढ़ाव के दौरान निवेशक अक्सर भावनात्मक हो जाते हैं और गलत निर्णय ले सकते हैं। स्टॉपलॉस सेट करके, आप भावनात्मक निर्णयों से बच सकते हैं।
- स्वचालित प्रक्रिया: स्टॉपलॉस एक स्वचालित प्रक्रिया है, जो आपको बाजार पर निरंतर नजर रखने की आवश्यकता को समाप्त करती है।
स्टॉपलॉस कैसे सेट करें?
स्टॉपलॉस सेट करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- लक्ष्य और जोखिम निर्धारित करें: पहले अपने लक्ष्य और स्वीकार्य जोखिम की सीमा तय करें।
- स्टॉपलॉस स्तर चुनें: अपने निवेश के आधार पर स्टॉपलॉस का स्तर तय करें। इसे आपके निवेश की वर्तमान मूल्य के आधार पर एक प्रतिशत या निश्चित राशि के रूप में सेट किया जा सकता है।
- आदेश दें: अपने ब्रोकर या ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से स्टॉपलॉस आदेश दें।
स्टॉपलॉस के प्रकार
स्टॉपलॉस के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:
- फिक्स्ड स्टॉपलॉस: यह एक निश्चित मूल्य पर सेट किया जाता है और तब तक नहीं बदलता जब तक निवेशक इसे मैन्युअल रूप से नहीं बदलते।
- ट्रेलिंग स्टॉपलॉस: यह शेयर की कीमत के साथ समायोजित होता है। यदि शेयर की कीमत बढ़ती है, तो स्टॉपलॉस स्तर भी बढ़ता है, लेकिन यदि कीमत गिरती है, तो स्टॉपलॉस स्तर स्थिर रहता है।
- वोलाटिलिटी स्टॉपलॉस: यह शेयर की वोलाटिलिटी के आधार पर सेट किया जाता है। यदि शेयर अधिक वोलाटाइल है, तो स्टॉपलॉस स्तर अधिक हो सकता है।
स्टॉपलॉस सेट करते समय ध्यान देने योग्य बातें
- बाजार का अध्ययन: स्टॉपलॉस सेट करने से पहले बाजार की स्थिति का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। बाजार के ट्रेंड और वोलाटिलिटी को समझें।
- वास्तविकता पर आधारित निर्णय: स्टॉपलॉस स्तर तय करते समय यथार्थवादी बनें। बहुत अधिक तंग स्टॉपलॉस सेट करना भी हानिकारक हो सकता है।
- मनोविज्ञान: निवेशक का मनोविज्ञान भी स्टॉपलॉस सेट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। धैर्य और अनुशासन बनाए रखना आवश्यक है।
निष्कर्ष
स्टॉपलॉस एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो निवेशकों को अत्यधिक हानि से बचाता है और उन्हें अपने निवेश को सुरक्षित रखने में मदद करता है। इसका सही उपयोग निवेशकों को शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव में स्थिरता प्रदान करता है। यह न केवल हानि को नियंत्रित करता है, बल्कि निवेशक को भावनात्मक निर्णयों से भी बचाता है। स्टॉपलॉस का सही उपयोग करके, निवेशक बाजार में अपने जोखिम को कम कर सकते हैं और अपने निवेश के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।