ट्रंप की इमिग्रेशन पॉलिसी

ट्रंप की इमिग्रेशन पॉलिसी से भारत की एजुकेशन लोन कंपनियों को बड़ा झटका

ट्रंप की इमिग्रेशन पॉलिसी

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी का सीधा असर अब भारत की एजुकेशन लोन कंपनियों पर दिखने लगा है। अमेरिका में पढ़ने जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आई है, जिससे लोन डिमांड और अप्रूवल में गिरावट देखने को मिल रही है।

अमेरिका जाने वाले छात्रों की संख्या में भारी गिरावट

भारत की प्रमुख एजुकेशन लोन कंपनियां जैसे:

  • Credila

  • Avanse Financial Services

  • InCred Finance

ट्रंप की इमिग्रेशन पॉलिसी

…इनका 50% से 75% तक का लोन पोर्टफोलियो केवल अमेरिका जाने वाले छात्रों पर आधारित होता है। अब जब अमेरिका में पढ़ाई का रुझान गिरा है, तो इन कंपनियों के बिजनेस मॉडल पर दबाव बना है।

 लोन अप्रूवल प्रक्रिया और हुई सख्त

अब एजुकेशन लोन कंपनियां केवल उन्हीं छात्रों को प्राथमिकता दे रही हैं:

  • जिनकी अकैडमिक बैकग्राउंड मजबूत हो

  • और जिनका एडमिशन टॉप टियर यूनिवर्सिटीज़ में हो चुका हो

इसका मुख्य कारण अमेरिका की राजनीतिक अनिश्चितता और संभावित मंदी से छात्रों की लोन रीपेमेंट क्षमता पर शंका है। InCred Finance को हुआ 50% तक नुकसान

InCred Finance के निदेशक नीलांजन चट्टोपाध्याय ने बताया:

“अमेरिका के लिए लोन की पूछताछ लगभग आधी हो चुकी है। अगर OPT और STEM OPT जैसे वर्क प्रोग्राम बंद होते हैं, तो अमेरिका में पढ़ाई की मांग और गिरेगी।”

 यूके, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा बन रहे हैं नए फेवरिट

जहां एक ओर अमेरिका की इमिग्रेशन पॉलिसी सख्त हो रही है, वहीं दूसरी ओर:

  • UK

  • Australia

  • Canada

…इन देशों की पॉलिसी तुलनात्मक रूप से लचीली और छात्रों के अनुकूल है। इससे लोन कंपनियों को थोड़ा राहत ज़रूर मिला है।

ट्रंप की इमिग्रेशन पॉलिसी

लोन रीस्ट्रक्चर का ट्रेंड बढ़ा

नीलांजन ने बताया कि पहले जहां सिर्फ 1-2% छात्रों को लोन रीस्ट्रक्चर की ज़रूरत पड़ती थी, अब यह संख्या 5% तक पहुंच रही है। यह भी चिंता का एक संकेत है।

 स्टूडेंट वीज़ा रद्द होने की घटनाएं बढ़ीं

  • मार्च 2024 से अब तक 901 अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वीज़ा या कानूनी स्थिति रद्द की जा चुकी है

  • ICEF Monitor के अनुसार,

    • अमेरिका में इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के नामांकन में 11% की गिरावट

    • भारतीय छात्रों के नामांकन में 28% तक की गिरावट

UK बना भारतीय छात्रों की पहली पसंद

इन सभी घटनाओं के बीच UK एक स्थिर और आकर्षक विकल्प के रूप में उभरा है। वहां न तो वीज़ा नीति सख्त है, न ही इमिग्रेशन को लेकर कोई नकारात्मक माहौल है।

Leverage Edu के CEO अक्षय चतुर्वेदी कहते हैं:
“छात्र अब ROI, इमिग्रेशन रिस्क और बैकअप प्लान्स की पूरी जानकारी लेकर लोन के लिए आवेदन कर रहे हैं।”

 निष्कर्ष क्या एजुकेशन फाइनेंसिंग का मॉडल बदलने वाला है?

अब भारत की एजुकेशन लोन कंपनियों को केवल अमेरिका-केंद्रित रणनीति से बाहर निकलकर:

  • डायवर्सिफाइड देश विकल्प

  • नई अप्रूवल पॉलिसी

  • और लोन सुरक्षा उपायों पर काम करना होगा।

 Disclaimer यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है। किसी भी निवेश या लोन से पहले विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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