फेडरल रिजर्व के बयान से शेयर बाजार में उछाल, भारतीय बाजार पर भी असर संभव
परिचय
शेयर बाजार में हर दिन कुछ नया होता है, लेकिन जब कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति कोई बयान देता है, तो इसका प्रभाव तेजी से देखने को मिलता है। हाल ही में, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के एक बयान ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि सेंट्रल बैंक की पॉलिसी को एडजस्ट करने का समय आ गया है, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि ब्याज दरों में कटौती की जाएगी।
अमेरिकी बाजार में तेजी
पॉवेल के इस बयान के बाद, अमेरिकी बाजारों में तेजी देखने को मिली। Dow Jones Industrial Average में शुक्रवार को 1.14% की बढ़त हुई, जबकि Nasdaq में 1.47% की वृद्धि दर्ज की गई। इस उछाल से यह स्पष्ट है कि निवेशक पॉवेल के बयान को सकारात्मक रूप में ले रहे हैं।
पॉवेल का बयान और मुद्रास्फीति के रिस्क
पॉवेल ने कहा कि “मुद्रास्फीति के लिए रिस्क कम हो गया है।” यह बयान फेड के तीन अधिकारियों द्वारा रेट कट पर सहमत होने से पहले और अधिक डेटा देखने की मांग के बाद आया है। इसका मतलब यह है कि फेडरल रिजर्व अब मुद्रास्फीति को नियंत्रण में मान रहा है और ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है।
बेरोजगारी और यूरोप के केंद्रीय बैंक
इस सप्ताह बेरोजगारी दावों में वृद्धि देखने को मिली है, जिससे लेबर मार्केट में ज्यादा गरमाहट नहीं दिखी। इसके विपरीत, यूरोप में केंद्रीय बैंकों ने पहले ही अपनी कटौती शुरू कर दी है। फेड की जारी किए गए मिनट्स ऑफ मीटिंग से पता चला है कि “अधिकांश” अधिकारियों ने सितंबर में कटौती की संभावना जताई है।
भारतीय बाजार पर संभावित प्रभाव
पॉवेल के इस बयान का भारतीय इक्विटी बाजार सहित वैश्विक बाजारों पर भी प्रभाव हो सकता है। यदि फेडरल रिजर्व सितंबर में ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। बाजार में फंड का फ्लो बढ़ जाएगा, जिससे ग्लोबल ट्रेड को बढ़ावा मिलेगा और बैंक महंगाई पर काबू पाने के लिए नई नीतियां बना सकते हैं।
फेड की बैठक के परिणामस्वरूप भारतीय शेयर बाजार में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। फेड द्वारा लिए गए निर्णय, विशेष रूप से ब्याज दरों के संबंध में, वैश्विक निवेशक भावना और फंड फ्लो को प्रभावित करते हैं, जिससे भारतीय बाजार पर भी असर पड़ सकता है।
निष्कर्ष
फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बयान ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है। यदि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इसका असर न केवल अमेरिकी बाजार पर, बल्कि भारतीय और अन्य वैश्विक बाजारों पर भी पड़ेगा। निवेशकों को इस संभावित परिवर्तन के लिए तैयार रहना चाहिए और अपनी निवेश रणनीतियों को उसी अनुसार समायोजित करना चाहिए।