बजाज हाउसिंग फाइनेंस

जानिए बजाज हाउसिंग फाइनेंस की लिस्टिंग, बजाज फाइनेंस के शेयरों पर प्रभाव और विश्लेषकों की राय

बजाज हाउसिंग फाइनेंस की आगामी लिस्टिंग: बजाज फाइनेंस के शेयरों पर प्रभाव और विश्लेषकों की राय

बजाज हाउसिंग फाइनेंस

बजाज हाउसिंग फाइनेंस की मजबूत लिस्टिंग की संभावना


मैक्वेरी के विश्लेषकों का मानना है कि बजाज हाउसिंग फाइनेंस की आगामी लिस्टिंग बेहद मजबूत हो सकती है। ग्रे मार्केट में 56 रुपये का प्रीमियम दिखाया जा रहा है, जो लगभग 50 प्रतिशत लिस्टिंग प्रीमियम का संकेत देता है। इस लिस्टिंग के परिणामस्वरूप, बजाज फाइनेंस के शेयरों में 5 प्रतिशत तक की बढ़त हो सकती है। हालांकि, यह बढ़त अस्थायी हो सकती है क्योंकि विश्लेषकों ने बजाज फाइनेंस के लिए ‘अंडरपरफॉर्म’ रेटिंग दी है।

‘अंडरपरफॉर्म’ रेटिंग और संभावित चुनौतियां


विश्लेषकों ने बजाज फाइनेंस के लिए 6,300 रुपये प्रति शेयर का लक्ष्य मूल्य रखा है, जो कि मौजूदा बाजार मूल्य से लगभग 14 प्रतिशत कम है। इस ‘अंडरपरफॉर्म‘ रेटिंग के पीछे मुख्य कारण बजाज हाउसिंग फाइनेंस में इक्विटी कमजोर पड़ने के कारण आरओई (रिटर्न ऑन इक्विटी) में संभावित गिरावट का अनुमान है। बजाज हाउसिंग फाइनेंस के आईपीओ से जुटाई गई नई पूंजी के परिणामस्वरूप, आरओई मौजूदा 15 प्रतिशत से घटकर 12 प्रतिशत हो सकती है।

बजाज हाउसिंग फाइनेंस का आईपीओ और भविष्य की दिशा


बजाज हाउसिंग फाइनेंस 9 सितंबर को अपना आईपीओ लॉन्च करने जा रही है, जिसमें प्रति शेयर 66-70 रुपये का मूल्य बैंड तय किया गया है। इस आईपीओ के तहत 3,560 करोड़ रुपये तक का नया इश्यू और बजाज फाइनेंस द्वारा 3,000 करोड़ रुपये तक की बिक्री का प्रस्ताव शामिल है। आईपीओ के बाद, बजाज हाउसिंग फाइनेंस का कुल बाजार पूंजीकरण लगभग 58,300 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

आरबीआई की अनिवार्यता और लिस्टिंग का समय


आरबीआई की अनिवार्यता के अनुसार, “ऊपरी परत” एनबीएफसी को अधिसूचित होने के तीन साल के भीतर, सितंबर 2025 तक सूचीबद्ध होना आवश्यक है। बजाज हाउसिंग फाइनेंस, एक विविध एनबीएफसी के रूप में, भारत भर में 76.5 मिलियन से अधिक ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करता है। इस लिस्टिंग से न केवल कंपनी को आवश्यक पूंजी मिलेगी बल्कि इसे भारतीय वित्तीय बाजार में और मजबूती भी मिलेगी।

बजाज हाउसिंग फाइनेंस की लिस्टिंग के साथ आने वाले दिनों में बजाज फाइनेंस के शेयरों में हलचल देखने को मिल सकती है। हालांकि, निवेशकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि विश्लेषकों ने इसके बावजूद ‘अंडरपरफॉर्म’ रेटिंग दी है, जो लंबी अवधि में शेयर के प्रदर्शन पर असर डाल सकती है।

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