विश्व बैंक की सकारात्मक दृष्टि

भारत की आर्थिक वृद्धि पर विश्व बैंक का सकारात्मक दृष्टिकोण, 7% वृद्धि का अनुमान

भारत की आर्थिक वृद्धि पर विश्व बैंक की सकारात्मक दृष्टि: 2024-25 में 7% वृद्धि का अनुमान

विश्व बैंक की सकारात्मक दृष्टि

विश्व बैंक ने भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.6% से बढ़ाकर 7% कर दिया गया है। विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर, ऑगस्टे तानो कौमे ने इस वृद्धि को सकारात्मक रूप से देखा और कहा कि वित्त वर्ष 2024 में 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने के बाद, भारत अब भी तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है।

वैश्विक मंदी के बावजूद भारत की सकारात्मक वृद्धि:

कौमे ने इस बात पर भी जोर दिया कि कोरोना महामारी के बाद जब अधिकांश विश्व आर्थिक मंदी से जूझ रहा था, तब भारत ने एक सकारात्मक आर्थिक वृद्धि दर्ज की। वित्तीय वर्ष 2026-27 में भी भारत की वृद्धि मजबूत रहने की संभावना है, जो देश की अर्थव्यवस्था को और बल प्रदान करेगी।

निर्यात विविधता और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं का महत्व:

विश्व बैंक ने भारत के 1 ट्रिलियन डॉलर के व्यापारिक निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 2030 तक निर्यात बास्केट में विविधता लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। भारत को आईटी फर्म और व्यावसायिक सेवाओं के साथ-साथ कपड़ा, परिधान, जूते, इलेक्ट्रॉनिक, और हरित प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में भी अग्रणी बनने की सलाह दी गई है।

आर्थिक स्थिरता और मजबूत विकास संभावनाएं:

भारत का ऋण-से-जीडीपी अनुपात वित्त वर्ष 2027 तक घटकर 82% हो जाने की उम्मीद है, और चालू खाता घाटा जीडीपी के 1.6% के बीच रहने की संभावना है। कौमे ने कहा कि भारत की विकास संभावनाएं और घटती मुद्रास्फीति अत्यधिक गरीबी को कम करने में सहायक साबित हो सकती हैं। इसके साथ ही, भारत ने मुक्त व्यापार समझौतों के प्रति एक सक्रिय रुख अपनाया है, जो उसकी वैश्विक व्यापार क्षमता को और बढ़ा सकता है।

निष्कर्ष:

भारत की आर्थिक वृद्धि पर विश्व बैंक का यह सकारात्मक दृष्टिकोण भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। वैश्विक मंदी के बावजूद, भारत की वृद्धि दर स्थिर रही है, और आने वाले वर्षों में भी इस वृद्धि के जारी रहने की उम्मीद है। निर्यात विविधता और मुक्त व्यापार समझौतों के माध्यम से भारत अपनी वैश्विक व्यापार क्षमता को और मजबूत कर सकता है। हालांकि, इन संभावनाओं का पूरा लाभ उठाने के लिए भारत को अपने निर्यात बास्केट में विविधता लाने की आवश्यकता है।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *