मॉरीशस

मॉरीशस के दो विदेशी निवेशकों की सेबी के नए नियमों के खिलाफ याचिका

मॉरीशस के दो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का सेबी के खिलाफ SAT में याचिका: नए नियमों से असहमति

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मॉरीशस के दो प्रमुख विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) एलटीएस इन्वेस्टमेंट फंड्स और लोटस ग्लोबल इन्वेस्टमेंट ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नए नियमों के खिलाफ सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) में याचिका दायर की है। इन निवेशकों ने 9 सितंबर 2024 तक अपने पोर्टफोलियो को घटाने के सेबी के निर्देशों से राहत की मांग की है।

सेबी के नए नियमों की समस्याएं

इन फंड्स का कहना है कि सेबी ने उन्हें कुछ शर्तों का पालन करने के लिए कहा है, जो बाकी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) पर लागू नहीं होतीं। इससे उनके निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने SAT से आग्रह किया है कि सेबी को उनके छूट आवेदन पर जल्दी फैसला लेने और नियमों का पालन करने के लिए मार्च 2025 तक का समय देने का निर्देश दिया जाए।

फंड्स की मौजूदा स्थिति

एलटीएस इन्वेस्टमेंट फंड्स के पास वैश्विक स्तर पर 4 बिलियन डॉलर का निवेश है, जबकि लोटस ग्लोबल इन्वेस्टमेंट के पास 900 मिलियन डॉलर का। हालांकि, इन फंड्स का एक बड़ा हिस्सा भारत में किसी एक ही कॉर्पोरेट समूह में निवेशित है, जो कि सेबी के नए नियमों के तहत समस्या बन गया है।

छूट के लिए संघर्ष और देरी

फंड्स का दावा है कि उन्होंने मार्च 2024 में सेबी से छूट के लिए आवेदन किया था, लेकिन सेबी ने अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। साथ ही, मई 2024 में सेबी ने नियमों में बदलाव किया, जिसके तहत मॉरीशस के इन फंड्स को छूट नहीं दी गई। फंड्स का कहना है कि सेबी ने उन्हें कुछ अतिरिक्त शर्तों का पालन करने के लिए कहा है, जिनके बारे में पहले स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई थी। इसके चलते, उनकी निवेश रणनीतियों में काफी नुकसान हो रहा है।

आगे की दिशा और संभावित परिणाम

अब ये फंड्स SAT से उम्मीद कर रहे हैं कि सेबी को उनके छूट आवेदन पर जल्दी निर्णय लेने और नए नियमों का पालन करने के लिए समय देने का निर्देश दिया जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें अपने पोर्टफोलियो को जल्द से जल्द खत्म करना पड़ सकता है, जिससे उनके निवेशकों को बड़ा नुकसान हो सकता है।

इस मुद्दे का असर सिर्फ इन दो फंड्स तक सीमित नहीं है। कई अन्य विदेशी निवेशक भी सेबी के नए नियमों से प्रभावित हो सकते हैं, जो वर्तमान में अपने निवेश पर पुनर्विचार करने को मजबूर हैं।

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