लोन गारंटर बनने से पहले इन 7 बड़े जोखिम
हम भारतीय रिश्तों और भरोसे को बहुत अहमियत देते हैं। दोस्त, रिश्तेदार या सहकर्मी – कोई भी मदद मांगे, तो हम बिना सोचे-समझे आगे बढ़ जाते हैं। लेकिन लोन गारंटर (Loan Guarantor) बनना सिर्फ एक मदद नहीं, बल्कि एक बड़ा जोखिम हो सकता है।
“बस एक साइन करना है, कुछ नहीं होगा” – अगर ऐसा कहकर कोई करीबी आपको गारंटर बना रहा है, तो संभल जाइए। अगर उधारकर्ता (Borrower) लोन नहीं चुका पाया, तो सारी जिम्मेदारी आप पर आ सकती है। इसलिए, गारंटर बनने से पहले इन 7 बड़े जोखिमों को जरूर समझें।
1. पूरी रकम की वसूली सीधे गारंटर से
अगर लोन लेने वाला व्यक्ति कर्ज नहीं चुकाता, तो बैंक सीधे गारंटर यानी आपसे पूरी रकम वसूल सकता है।
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बैंक बिना कोई देरी किए आपसे EMI, ब्याज और पेनाल्टी की मांग कर सकता है।
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आपकी सैलरी, बैंक अकाउंट या प्रॉपर्टी तक सीज की जा सकती है।
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आपके खिलाफ कानूनी केस भी दर्ज हो सकता है।
यह सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि कानूनी जोखिम भी बन सकता है।
2. क्रेडिट स्कोर पर बुरा असर
अगर उधारकर्ता EMI नहीं चुकाता, तो यह आपके क्रेडिट स्कोर को भी नुकसान पहुंचाएगा।
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भविष्य में आपके लिए खुद लोन लेना मुश्किल हो सकता है।
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बैंक उच्च ब्याज दर पर लोन देंगे या सीधे मना कर सकते हैं।
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खराब क्रेडिट हिस्ट्री के कारण अन्य वित्तीय सेवाओं को लेना भी कठिन हो सकता है।
एक गलत फैसला आपके फाइनेंशियल फ्यूचर को खतरे में डाल सकता है।
3. भारी-भरकम जुर्माना और शुल्क
अगर उधारकर्ता डिफॉल्ट करता है, तो आपको सिर्फ मूलधन (Principal) ही नहीं, बल्कि ब्याज (Interest), लेट फीस (Late Fee), पेनाल्टी (Penalty) और अन्य शुल्क भी चुकाने पड़ सकते हैं।
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बड़े लोन के मामलों में यह रकम लाखों-करोड़ों में पहुंच सकती है।
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यह कर्ज जीवनभर की परेशानी बन सकता है।
बिना सोचे-समझे गारंटर बनने से भारी वित्तीय बोझ उठाना पड़ सकता है।
4. कोर्ट-कचहरी और कानूनी झंझट
अगर लोन डिफॉल्ट होता है, तो बैंक आपको कानूनी नोटिस भेज सकता है।
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आपके खिलाफ लीगल केस दर्ज किया जा सकता है।
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वकील की मोटी फीस और बार-बार कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं।
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यह झंझट कई सालों तक चल सकता है।
एक छोटे से साइन के कारण आपको कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
5. गारंटर बनने के बाद पीछा छुड़ाना मुश्किल
एक बार गारंटर बनने के बाद इस जिम्मेदारी से निकलना लगभग नामुमकिन होता है।
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जब तक उधारकर्ता कोई दूसरा गारंटर नहीं लाता या पर्याप्त संपत्ति गिरवी नहीं रखता, तब तक आप इस कर्ज से जुड़े रहेंगे।
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कई मामलों में बैंक गारंटर को हटाने की इजाजत ही नहीं देते।
गारंटर बनने से पहले सुनिश्चित करें कि आप इस जिम्मेदारी को उठा सकते हैं।
6. रिश्तों में दरार और तनाव
अगर आपका कोई करीबी लोन नहीं चुका पाता, तो यह आपके रिश्तों को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
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आर्थिक मुद्दों के कारण रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है।
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वित्तीय संकट आपके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
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परिवार और दोस्तों के साथ मनमुटाव और झगड़े की नौबत आ सकती है।
एक गलत फैसला आपके रिश्तों को खराब कर सकता है।
7. संपत्ति तक जब्त होने का खतरा
अगर मामला कोर्ट तक गया और फैसला आपके खिलाफ आया, तो स्थिति गंभीर हो सकती है।
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बैंक आपके बैंक अकाउंट को फ्रीज कर सकता है।
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गाड़ी, घर, प्लॉट और सोना जैसी संपत्ति जब्त हो सकती है।
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आसान शब्दों में कहें तो आपकी पूरी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी दांव पर लग सकती है।
बिना गहरी सोच-विचार के गारंटर बनना आपको दिवालिया बना सकता है।
किन धाराओं में दर्ज होता है केस?
भारतीय कानून में Indian Contract Act, 1872 की धारा 126, 128, 133 और 139 लोन डिफॉल्ट मामलों में लागू होती हैं।
इसके अलावा, Bharatiya Nyaya Sanhita (BNS), 2023 की धारा 318 (धोखाधड़ी) और 319 (छल से पहचान बदलकर धोखा देना) कुछ मामलों में लागू हो सकती हैं।
कानूनी जानकारी के बिना गारंटर बनने का जोखिम मत उठाएं।
क्या लोन गारंटर बनना ही नहीं चाहिए?
गारंटर बनना एक भावनात्मक और मददगार फैसला हो सकता है, लेकिन यह जोखिम से भरा है।
अगर उधारकर्ता आर्थिक रूप से मजबूत है और समय पर भुगतान कर सकता है, तो गारंटर बनने पर विचार किया जा सकता है।
सभी कानूनी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें और किसी वित्तीय विशेषज्ञ से सलाह लें।
अपनी वित्तीय स्थिति का आकलन करें कि आप जोखिम उठाने की स्थिति में हैं या नहीं।
अगर संदेह है, तो स्पष्ट रूप से इनकार कर दें।
याद रखें, लोन गारंटर बनना सिर्फ एक साइन नहीं, बल्कि आपकी पूरी वित्तीय स्थिरता को दांव पर लगाने जैसा है।
निष्कर्ष
लोन गारंटर बनने से पहले सभी जोखिमों को समझना और सही फैसला लेना बेहद जरूरी है।
अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें ताकि वे भी इस महत्वपूर्ण पहलू को समझ सकें।