SEBI का FPIs

SEBI का FPIs के लिए अतिरिक्त डिस्क्लोजर का प्रस्ताव

SEBI का FPIs के लिए अतिरिक्त डिस्क्लोजर का प्रस्ताव

भारतीय बाजार नियामक SEBI (Securities and Exchange Board of India) ने फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPIs) के लिए अतिरिक्त डिस्क्लोजर की सीमा में दोगुनी बढ़ोतरी का सुझाव दिया है। मौजूदा 25,000 करोड़ रुपये की सीमा को बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है। यह निर्णय बाजार के बढ़ते वॉल्यूम और अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए लिया गया है।

SEBI का FPIs

अतिरिक्त डिस्क्लोजर की नई सीमा

10 जनवरी को SEBI द्वारा जारी Consultation Paper में यह सुझाव दिया गया कि जिन FPIs के पास 50,000 करोड़ रुपये से अधिक AUM (Assets Under Management) होगा, उन्हें अतिरिक्त डिस्क्लोजर देना अनिवार्य होगा। SEBI के अनुसार, यह प्रस्ताव भारतीय बाजार के आकार और उसमें हो रही तेजी को ध्यान में रखकर पेश किया गया है।

Press Note 3 के दिशा-निर्देशों के तहत FPIs पर नियंत्रण

SEBI के इस कदम का एक प्रमुख उद्देश्य बड़े FPIs को Press Note 3 (2020) के दिशा-निर्देशों का पालन कराना है।

Press Note 3 (2020) के तहत

  • सीमावर्ती देशों से आने वाले निवेशकों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष निवेश के लिए सरकार की पूर्व स्वीकृति लेनी होती है।
  • इसका उद्देश्य विदेशी निवेश के माध्यम से संभावित जोखिम और अस्थिरता को रोकना है।

SEBI का मानना है कि बड़े FPIs द्वारा किए गए निवेश से भारतीय बाजार में अस्थिरता आ सकती है, जिसे यह नियम नियंत्रित करने में सहायक होगा।

SEBI का FPIs

मार्केट के साइज का आकलन और टर्नओवर डेटा

SEBI ने अपने सर्कुलर में कहा कि बाजार के संचालन को बाधित करने वाले जोखिमों का आकलन बाजार के आकार के आधार पर किया जाना चाहिए। इसके लिए टर्नओवर को एक व्यापक पैरामीटर के रूप में उपयोग करने का सुझाव दिया गया।

टर्नओवर डेटा

  • 2022-23 से 2024-25 (दिसंबर 2024 तक) के आंकड़ों के अनुसार, NSE कैपिटल मार्केट सेगमेंट में एवरेज डेली टर्नओवर में 122% की वृद्धि दर्ज की गई है।

नए प्रस्ताव का असर

इस प्रस्ताव के लागू होने से बड़े FPIs को अतिरिक्त नियमों का पालन करना होगा। इसका उद्देश्य:

  1. भारतीय बाजारों की स्थिरता सुनिश्चित करना
  2. अस्थिरता को कम करना
  3. FPIs के माध्यम से आने वाले निवेश को पारदर्शी बनाना

SEBI ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम भारतीय बाजार के आकार और उसकी बदलती जरूरतों के अनुसार उठाया गया है।

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