विदेशी निवेशकों द्वारा बिकवाली का सिलसिला जारी
भारतीय शेयर बाजार से Foreign Portfolio Investors (FPI) की बिकवाली लगातार जारी है।
- जनवरी 2025 में अब तक एफपीआई ने 44,396 करोड़ रुपये की निकासी की है।
- जबकि दिसंबर 2024 में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार में 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
बिकवाली के मुख्य कारण
1. डॉलर की मजबूती और बॉन्ड यील्ड में वृद्धि
- अमेरिकी डॉलर की मजबूती और US Bond Yields के बढ़ने से निवेशक उभरते बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं।
- डॉलर इंडेक्स 109 के ऊपर पहुंच चुका है।
- 10 साल के अमेरिकी बॉन्ड पर यील्ड 4.6% से अधिक हो गई है।
- इससे भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेश का आकर्षण कम हो गया है।
2. भारतीय रुपये में गिरावट
- भारतीय रुपये में लगातार कमजोरी बनी हुई है, जिससे विदेशी निवेशक सतर्क हो गए हैं।
- डॉलर के मुकाबले रुपया 86 प्रति डॉलर के उच्चतम स्तर पर ट्रेड कर रहा है।
- कमजोर रुपये से विदेशी निवेशकों को भारत में अपने रिटर्न घटते नजर आ रहे हैं।
3. भारतीय बाजार की उच्च वैल्यूएशन
- भारतीय शेयरों की महंगी वैल्यूएशन और आर्थिक वृद्धि को लेकर अनिश्चितता भी बिकवाली को बढ़ा रही है।
- कई निवेशक मुनाफा वसूली कर रहे हैं और सुरक्षित विकल्प तलाश रहे हैं।
FPI की बॉन्ड मार्केट से निकासी
- एफपीआई ने सिर्फ शेयर बाजार ही नहीं, बल्कि बॉन्ड मार्केट से भी भारी निकासी की है।
- डेट मार्केट से अब तक 4,848 करोड़ रुपये की निकासी हो चुकी है।
- स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (VRR) से भी 6,176 करोड़ रुपये निकाले गए हैं।
पिछले वर्षों की तुलना
वर्ष | एफपीआई का निवेश (रु. करोड़ में) |
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2023 | 1.71 लाख करोड़ रुपये |
2024 (अब तक) | 427 करोड़ रुपये |
- 2023 में भारतीय शेयर बाजार में एफपीआई ने रिकॉर्ड 1.71 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था।
- 2024 में अब तक मात्र 427 करोड़ रुपये का नेट निवेश देखने को मिला है, जो दर्शाता है कि निवेशक सतर्क हैं।
क्या आगे और बिकवाली जारी रहेगी?
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती पर अनिश्चितता बनी हुई है।
- ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ को लेकर कमजोर अनुमान के कारण उभरते बाजारों पर दबाव बना रह सकता है।
- विश्लेषकों का मानना है कि भारत में विदेशी निवेश तभी वापस आएगा जब रुपये में स्थिरता और मजबूत घरेलू मांग दिखाई देगी।
निष्कर्ष
- डॉलर की मजबूती, भारतीय रुपये की गिरावट और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि के चलते एफपीआई भारतीय बाजार से लगातार पैसा निकाल रहे हैं।
- अगर ये कारक स्थिर नहीं होते, तो बाजार में और गिरावट संभव है।
- हालांकि, 2023 में एफपीआई द्वारा किए गए भारी निवेश दर्शाते हैं कि वे भारत में दीर्घकालिक संभावनाओं को नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं।