शेयर बाजार में गिरावट के विभिन्न स्तर
शेयर बाजार में गिरावट को विभिन्न चरणों में विभाजित किया जाता है, जिससे निवेशकों को यह समझने में मदद मिलती है कि बाजार की मौजूदा स्थिति कितनी गंभीर है और भविष्य में क्या संभावनाएँ हो सकती हैं।
5% गिरावट पुलबैक (Pullback) – हल्की गिरावट
क्या है?
जब बाजार में 5% तक की गिरावट होती है, तो इसे पुलबैक कहा जाता है। इसे आमतौर पर स्वस्थ गिरावट माना जाता है।
संभावित कारण
- मुनाफावसूली (Profit Booking)
- हल्के आर्थिक आंकड़ों में कमजोरी
- अस्थायी नकारात्मक समाचार
प्रभाव
- यह अल्पकालिक गिरावट होती है और अक्सर बाजार तेज़ी से रिकवर कर लेता है।
- निवेशक इसे खरीदारी के अवसर के रूप में देखते हैं।
10% गिरावट करेक्शन (Correction) – चेतावनी संकेत
क्या है?
अगर बाजार 10% गिरता है, तो इसे करेक्शन कहा जाता है।
संभावित कारण
- वैश्विक आर्थिक घटनाएं
- ब्याज दरों में बदलाव
- कॉरपोरेट सेक्टर में कमजोरी
प्रभाव
- निवेशक सतर्क हो जाते हैं।
- बाजार में अस्थिरता बढ़ जाती है।
- दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह अच्छा अवसर हो सकता है।
20% गिरावट बियर मार्केट (Bear Market) – निवेशकों में डर
क्या है?
जब बाजार में 20% या उससे अधिक की गिरावट आती है, तो इसे बियर मार्केट कहा जाता है।
संभावित कारण
- आर्थिक मंदी (Recession)
- कंपनियों के मुनाफे में भारी गिरावट
- ग्लोबल संकट
प्रभाव
- निवेशकों में डर और घबराहट बढ़ती है।
- लोग अपने निवेश निकालने लगते हैं, जिससे बाजार और गिर सकता है।
- नए निवेशकों के लिए यह बढ़िया अवसर हो सकता है, बशर्ते वे लंबी अवधि के लिए निवेश करें।
30% गिरावट क्रैश (Crash) – गंभीर संकट
क्या है?
जब बाजार में 30% या उससे अधिक की तेज़ गिरावट आती है, तो इसे स्टॉक मार्केट क्रैश कहा जाता है।
संभावित कारण
- वैश्विक आर्थिक संकट
- युद्ध जैसी बड़ी घटनाएँ
- वित्तीय घोटाले या बैंकिंग संकट
प्रभाव
- निवेशकों का विश्वास डगमगा जाता है।
- बाजार में उथल-पुथल रहती है।
- सरकार को बाजार में स्थिरता लाने के लिए नीतियाँ लागू करनी पड़ती हैं।
50% गिरावट मंदी (Recession) – सबसे गंभीर स्थिति
क्या है?
जब बाजार में 50% तक की गिरावट हो जाती है, तो इसे मंदी (Recession) कहा जाता है।
संभावित कारण
- वैश्विक वित्तीय संकट
- दीर्घकालिक आर्थिक मंदी
- बड़े उद्योगों में भारी नुकसान
प्रभाव
- सिर्फ शेयर बाजार ही नहीं, पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है।
- कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर देती हैं।
- निवेशकों को लंबे समय तक सतर्क रहने की आवश्यकता होती है