ट्रंप का टैरिफ टैंट्रम भारत के ऑटो सेक्टर के सामने अवसर और चुनौतियां
देश का ऑटो सेक्टर इस वक्त बड़े अवसरों और गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा बढ़े हुए टैरिफ की धमकी और टेस्ला की भारत में एंट्री ने इस सेक्टर की परिस्थितियों को और जटिल बना दिया है। आइए इस पूरी स्थिति को विस्तार से समझते हैं।
ट्रंप का टैरिफ टैंट्रम
डॉनल्ड ट्रंप ने 25% टैरिफ का एलान किया है, जो 2 अप्रैल से लागू होगा। उन्होंने अमेरिका में एक्सपोर्ट करने वाली ऑटो कंपनियों पर भारी शुल्क लगाने की बात कही है। यह टैरिफ भारत समेत कई देशों की ऑटो, सेमीकंडक्टर, और फार्मा कंपनियों पर लागू होगा।
इसका भारतीय ऑटो सेक्टर पर सीमित असर पड़ने की संभावना है। भारत से अमेरिका को लगभग 17,000 गाड़ियां एक्सपोर्ट होती हैं, जिनमें JLR और M&M की गाड़ियां प्रमुख हैं। इन गाड़ियों की कीमतें अमेरिका में 10-15% तक बढ़ सकती हैं।
भारतीय ऑटो एंसिलरी को फायदा
हालांकि, इस टैरिफ का सकारात्मक पहलू भारतीय ऑटो एंसिलरी कंपनियों के लिए उभर सकता है।
भारत फोर्ज और संवर्धन मदरसन जैसी कंपनियां इस स्थिति का फायदा उठा सकती हैं।
भारत फिलहाल 6 अरब डॉलर से ज्यादा के ऑटो पार्ट्स एक्सपोर्ट करता है।
जापान और कोरिया के जवाबी टैरिफ से EV सप्लाई चेन में भारत को नए मौके मिल सकते हैं।
अमेरिका EV बैटरियों के लिए भारत से आयात बढ़ा सकता है, जिससे 2030 तक भारत का EV बैटरी बाजार चार गुना तक बढ़ सकता है।
टेस्ला की एंट्री: अवसर और चुनौतियां
टेस्ला जल्द ही भारतीय बाजार में प्रवेश करने वाली है। यह भारतीय ऑटो सेक्टर के लिए नए अवसरों और चुनौतियों को जन्म दे सकती है।
1. टेस्ला का प्रभाव
टेस्ला की एंट्री से भारतीय ऑटो एंसिलरी कंपनियों को बड़े अवसर मिल सकते हैं।
7 बड़ी भारतीय लिस्टेड कंपनियां पहले से ही टेस्ला को पार्ट्स सप्लाई करती हैं।
2025 तक टेस्ला से जुड़े OEM पार्ट्स की सोर्सिंग से भारतीय कंपनियों की कमाई 1 अरब डॉलर के पार जा सकती है।
2. OEM के लिए संभावनाएं
टेस्ला फिलहाल भारत में इलेक्ट्रिक कार निर्माण की योजना नहीं बना रही है।
पुणे में चाकन या चिखली में टेस्ला का पहला प्लांट लग सकता है।
चाकन पहले से ही मर्सिडीज-बेंज, टाटा मोटर्स और फॉक्सवैगन जैसे बड़े मैन्युफैक्चरिंग हब का हिस्सा है।
टेस्ला से फायदा उठाने वाली कंपनियां
टेस्ला को पार्ट्स सप्लाई करने वाली प्रमुख भारतीय कंपनियां हैं:
संधार टेक्नोलॉजीज
SKF इंडिया
सुंदरम फास्नर
VARROC इंजीनियरिंग
सुप्रजीत इंजीनियरिंग
सोना BLW
भारत फोर्ज
इन कंपनियों को टेस्ला की एंट्री से फायदा होने की संभावना है।
चुनौतियां भारतीय EV कंपनियों के लिए
टेस्ला की एंट्री भारतीय EV कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा को बढ़ा सकती है।
टाटा मोटर्स, M&M, और मारुति जैसे बड़े EV प्लेयर्स को चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
हाल ही में M&M के शेयरों में 8% की गिरावट, टाटा मोटर्स में 0.44% की गिरावट और मारुति में 1.87% की कमजोरी देखने को मिली है।
टेस्ला की गाड़ियों की प्राइसिंग भारतीय बाजार में एक निर्णायक कारक साबित होगी।
भारतीय EV बाजार के अवसर
भारत में EV बाजार अभी प्रारंभिक चरण में है। पिछले साल भारत में करीब 1 लाख इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री हुई।
भारत का ऑटो बाजार बड़ा है और टेस्ला के लिए आवश्यक बन गया है।
चीन और यूरोप के बाजारों में मंदी के चलते भारत टेस्ला के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान कर सकता है।
टेस्ला का भारत में प्लान
टेस्ला ने भारत में अपनी शुरुआत के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
कंपनी ने मुंबई में सर्विस ऑपरेशन और डिलीवरी ऑपरेशन के लिए भर्तियां शुरू की हैं।
सर्विस मैनेजर और स्टोर मैनेजर जैसे पदों के लिए भी हायरिंग जारी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एलॉन मस्क की मुलाकात के बाद भारत में टेस्ला के कदम तेज़ हुए हैं।
निष्कर्ष
भारत का ऑटो सेक्टर इस वक्त बदलाव के दौर से गुजर रहा है। ट्रंप के टैरिफ और टेस्ला की एंट्री जैसी घटनाएं इस सेक्टर के लिए बड़ी चुनौतियां और अवसर दोनों लेकर आ रही हैं। जहां टेस्ला से जुड़ी कंपनियों के लिए नए मौके बन रहे हैं, वहीं भारतीय EV निर्माता कंपनियों को अपनी प्रतिस्पर्धा और रणनीति को मजबूत करना होगा।