टेस्ला की एंट्री 

भारत में टेस्ला की एंट्री क्या मारुति, टाटा और हुंडई को होगा नुकसान?

भारत में टेस्ला की एंट्री 

एलॉन मस्क की इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला भारत में अपनी एंट्री की तैयारी कर रही है। लेकिन क्या इससे मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स और हुंडई जैसी घरेलू कंपनियों पर कोई प्रभाव पड़ेगा? ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म CLSA के अनुसार, टेस्ला की एंट्री से भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर को कोई बड़ा खतरा नहीं होगा।

घरेलू कंपनियों पर असर क्यों नहीं होगा?

टेस्ला की एंट्री 

1. कीमतों में बड़ा अंतर

  • टेस्ला की सबसे सस्ती कार अमेरिका में $35,000 (लगभग ₹30 लाख) की है।
  • भारत में कारों की औसत सेलिंग प्राइस सिर्फ ₹12 लाख है।
  • इस बड़े मूल्य अंतर के कारण भारतीय ग्राहक टेस्ला को प्राथमिकता नहीं देंगे।

2. Import Duty और लागत बढ़ाने वाले कारक

  • वर्तमान में टेस्ला कारों पर 110% तक आयात शुल्क (Import Duty) लगता है।
  • हालांकि, सरकार नई EV पॉलिसी में इम्पोर्ट ड्यूटी को 15% तक कम कर सकती है।
  • इसके बावजूद, Road Tax, बीमा और अन्य खर्चों के बाद टेस्ला की ऑन-रोड कीमत ₹35 लाख से अधिक होगी।
  • इतनी ऊंची कीमत पर घरेलू कंपनियों के इलेक्ट्रिक वाहनों से मुकाबला करना मुश्किल होगा।

3. घरेलू ग्राहकों की प्राथमिकताएं

भारतीय ग्राहक केवल ब्रांड नेम के आधार पर कार नहीं खरीदते बल्कि वे कीमत, फीचर्स, इंटीरियर, रीसेल वैल्यू और सर्विस नेटवर्क को ज्यादा महत्व देते हैं।

  • Tesla Model 3 की तुलना में महिंद्रा XEV 9e, हुंडई ई-क्रेटा, और मारुति ई-विटारा जैसी गाड़ियां 20-50% कम कीमत पर उपलब्ध होंगी।
  • इसलिए, CLSA का मानना है कि भारतीय EV बाजार पर टेस्ला का प्रभाव सीमित रहेगा।

टेस्ला के लिए भारत में मैन्युफैक्चरिंग जरूरी

टेस्ला की एंट्री 

अगर टेस्ला को भारत में सफलता पानी है, तो उसे लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस करना होगा।

  • CLSA के अनुसार, टेस्ला को भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करना चाहिए।
  • इससे इम्पोर्ट ड्यूटी कम होगी और ऑन-रोड कीमत ₹35-40 लाख से नीचे रखी जा सकेगी।
  • फिर भी, टेस्ला की कीमत भारतीय कंपनियों की 4 मीटर से अधिक लंबी इलेक्ट्रिक SUVs से ज्यादा ही रहेगी।

भारत में EV मार्केट की स्थिति

भारत में EV गाड़ियों की बाजार हिस्सेदारी फिलहाल सिर्फ 2.4% है, लेकिन इसमें तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है।

  • FY 2028 तक EV मार्केट 15% तक बढ़ने की संभावना है।
  • FY 2030 तक यह आंकड़ा 25% तक पहुंच सकता है।
  • अगर टेस्ला भारत में 10-20% EV मार्केट शेयर भी हासिल कर लेती है, तो पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में उसकी हिस्सेदारी सिर्फ 2-5% ही रहेगी।

निष्कर्ष

CLSA के मुताबिक, टेस्ला की भारत में एंट्री से मारुति, हुंडई और टाटा मोटर्स जैसी घरेलू कंपनियों को कोई बड़ा खतरा नहीं होगा।

  • Import Duty और ऊंची कीमतें टेस्ला के लिए चुनौती बनेंगी।
  • भारतीय ग्राहकों की प्राथमिकताएं घरेलू कंपनियों के पक्ष में काम करेंगी।
  • टेस्ला को भारतीय बाजार में सफलता पाने के लिए लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस करना होगा।

अगर टेस्ला भारत में अपनी कीमतें 22 लाख रुपये से नीचे रखना चाहती है, तो उसे फीचर्स और स्पेसिफिकेशंस में समझौता करना पड़ेगा। यही कारण है कि घरेलू कंपनियां EV मार्केट में अपनी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त बनाए रखेंगी।

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