अमेरिका-चीन व्यापार विवाद

अमेरिका-चीन व्यापार विवाद में बड़ी राहत

अमेरिका-चीन व्यापार विवाद में बड़ी राहत

1. लंबे व्यापार युद्ध के बाद बड़ी खबर

अमेरिका-चीन व्यापार विवाद

अमेरिका और चीन के बीच वर्षों से चल रहा टैरिफ युद्ध अब धीरे-धीरे शांति की दिशा में बढ़ रहा है। CNN की एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देश 14 मई से एक-दूसरे के उत्पादों पर लगने वाले भारी टैरिफ में बड़ी कटौती करने को तैयार हो गए हैं।

2. टैरिफ में अस्थायी लेकिन बड़ी कटौती

  • अमेरिका अब चीन के उत्पादों पर 145% की बजाय सिर्फ 30% टैरिफ लगाएगा।

  • चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ को 125% से घटाकर 10% करने का फैसला किया है।

  • यह नई व्यवस्था केवल प्रारंभिक 90 दिनों के लिए लागू की गई है।

  • यह घोषणा दोनों देशों ने संयुक्त बयान (Joint Statement) के जरिए की है।

3. अमेरिका का रुख संवाद के लिए खुला दरवाज़ा

अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने बयान में कहा:

“हमने 90 दिनों के लिए टैरिफ में औसतन 115% की कटौती पर सहमति बनाई है। इसका मुख्य उद्देश्य ट्रेड वॉर की गंभीरता को कम करना और भविष्य की बातचीत का रास्ता खोलना है।”

उन्होंने यह भी कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अंतिम समझौता किस रूप में होगा। लेकिन दोनों देश एक स्थायी व्यापार समाधान की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं। एक नई आर्थिक और व्यावसायिक मैकेनिज़्म पर भी सहमति बनी है।

अमेरिका-चीन व्यापार विवाद

4. स्विट्जरलैंड की उच्च स्तरीय बैठक से निकला परिणाम

यह समझौता स्विट्जरलैंड में चल रही एक उच्च स्तरीय वार्ता का नतीजा है। अमेरिका और चीन दोनों पक्षों ने माना कि बातचीत में “पर्याप्त प्रगति” हुई है और वे आने वाले दिनों में और जानकारी साझा करेंगे।

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रियर ने कहा:

“हम चीन के साथ एक संतुलित और स्थिर व्यापारिक रिश्ता चाहते हैं।”

5. एशियाई बाजारों में जोरदार उछाल

अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ कटौती की खबर के बाद एशियाई शेयर बाजारों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली:

  • BSE Sensex और Nifty 50 में 3% से अधिक की तेजी

  • Hong Kong का Hang Seng Index लगभग 3% चढ़ा

  • Shanghai Composite (China) में 1% की बढ़त

  • South Korea का Kospi Index 1% से ज्यादा उछला

  • Taiwan Weighted Index में भी 1% से अधिक का उछाल

निष्कर्ष राहत की शुरुआत, लेकिन निगरानी ज़रूरी

टैरिफ कटौती भले ही 90 दिनों के लिए अस्थायी हो, लेकिन इससे ग्लोबल इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स को सकारात्मक संकेत मिले हैं। निवेशकों की नजर अब आगे की बैठकों और दीर्घकालिक समझौते पर टिकी रहेगी।

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