जुपिटर वैगन्स लिमिटेड JWL में बड़ी हलचल: ओडिशा में ₹2500 करोड़ का निवेश और मेक इन इंडिया पहल
भारत सरकार द्वारा रेलवे सेक्टर में बड़े निवेश की घोषणा के बाद, कई रेलवे कंपनियों के शेयरों में उछाल देखा जा रहा है। इन्हीं में से एक कंपनी जुपिटर वैगन्स लिमिटेड (JWL) है, जिसने अपनी सहायक कंपनी के तहत ओडिशा में बड़ा निवेश करने की योजना बनाई है।
JWL की सहायक कंपनी का विस्तार
जुपिटर वैगन्स लिमिटेड (JWL) की सहायक कंपनी जुपिटर टाट्रावागोंका रेलव्हील फैक्ट्री प्राइवेट लिमिटेड (JTRFPL) प्रति वर्ष एक लाख फोर्ज्ड व्हीलसेट बनाने के लिए ओडिशा में एक नया प्लांट स्थापित कर रही है। इसके लिए कंपनी ने करीब ₹2500 करोड़ के निवेश की योजना बनाई है। इससे कंपनी की वर्तमान प्रोडक्शन कैपिसिटी जो कि फिलहाल 20,000 व्हीलसेट प्रति वर्ष है, में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। नई कंपनी के 2027 तक पूरी तरह से चालू होने की उम्मीद है, जिससे JWL घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपनी सर्विस को और भी मजबूत कर सकेगी।
नाम में बदलाव
कंपनी ने अपनी सहायक कंपनी का नाम बोनाट्रांस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से बदलकर जुपिटर टाट्रावागोंका रेलव्हील फैक्ट्री प्राइवेट लिमिटेड (JTRFPL) कर दिया है। इस कदम का उद्देश्य कंपनी की ब्रांड पहचान को मजबूत करना और इसे भविष्य में होने वाले विस्तार के लिए तैयार करना है।
मेक इन इंडिया पहल में योगदान
JWL ने अपने इस नए कदम को भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल के तहत बताया है, जो कि देश की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने और ग्लोबल सप्लाय चेन में भारत की भूमिका को मजबूत करने का प्रयास है। इस नए प्लांट से कंपनी के बिज़नेस मॉडल को न केवल रणनीतिक रूप से अपडेट किया जाएगा बल्कि इसके मार्जिन प्रोफाइल को भी मजबूत किया जाएगा।
शेयर परफॉर्मेंस
जुपिटर वैगन्स लिमिटेड (JWL) के शेयरों में इस खबर के बाद हलचल देखी जा रही है। कंपनी के शेयर बुधवार को ₹534 के स्तर पर ट्रेड कर रहे थे।
- PE रेश्यो: 62.25
- बुक वैल्यू: ₹59.08
- मार्केट कैप: ₹22,450 करोड़
पिछले कुछ सालों में JWL ने शानदार रिटर्न दिया है:
- पिछले 6 माह में 56% का रिटर्न
- पिछले 1 साल में 52% का रिटर्न
- 2 साल में 634% का मल्टीबैगर रिटर्न
- पिछले 5 सालों में कंपनी ने 3500% का अद्भुत रिटर्न दिया है।
भविष्य की योजनाएं
JWL का यह कदम रेलवे सेक्टर में उसकी स्थिति को और भी मजबूत करने वाला है। ओडिशा में नए प्लांट के साथ, कंपनी की उत्पादन क्षमता में भारी वृद्धि होगी, जिससे यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में अपने पैर पसार सकेगी। इसके साथ ही, यह कदम मेक इन इंडिया पहल में योगदान देकर कंपनी को दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मकता और वृद्धि के लिए तैयार करेगा।