जानें कैसे कोविड के बाद Bull Market ने तेजी पकड़ी

जानें कैसे कोविड के बाद Bull Market ने तेजी पकड़ी और भविष्य की संभावनाएं

Bull Market का जन्म और विकास कोविड के बाद का सफर

Bull Market की शुरुआत उस समय हुई, जब दुनिया Covid-19 महामारी से जूझ रही थी। 23 मार्च 2020 को Nifty ने 7,511 के निचले स्तर को छुआ था, लेकिन उसके बाद बाजार ने तेजी पकड़ी। शुरुआती दौर में विशेषज्ञ इस तेजी को लेकर संशय में थे। उनका मानना था कि बाजार की मजबूती के लिए आर्थिक स्थिति में सुधार की जरूरत है। लेकिन वैश्विक मंदी और आय पर इसके प्रभाव के बावजूद, बाजार ने धीरे-धीरे अपनी स्थिति मजबूत की, और तेजी की यह लहर कायम रही।

Global Rally में US की भूमिका

इस वैश्विक रैली में अमेरिका का योगदान सबसे महत्वपूर्ण था। अमेरिका, जिसे अक्सर Mother Market कहा जाता है, ने इस Bull Market की गति को बढ़ावा दिया। विशेष रूप से, Federal Reserve और अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा दी गई भारी मात्रा में Liquidity (तरलता) ने इस रैली को मजबूती प्रदान की। भारत में भी बाजार ने आर्थिक सुधार और आय में वृद्धि की उम्मीद जताई, जो बाद में हकीकत साबित हुई।

2021 से 2024 के दौरान, भारत की GDP वृद्धि दर औसतन 7% से अधिक रही। इसके साथ ही, Nifty का EPS (Earnings Per Share) भी वित्त वर्ष 2021 में 544 से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 989 तक पहुंच गया, जो एक बड़ी उपलब्धि है।

भारतीय Bull Market की खासियत

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भारतीय बाजार की खास बात यह है कि इसे मुख्य रूप से Domestic Investors द्वारा संचालित किया गया है। April 2020 में जहां Demat Accounts की संख्या 4.09 करोड़ थी, वहीं August 2024 तक यह बढ़कर 17 करोड़ से अधिक हो गई। इससे पता चलता है कि भारतीय निवेशकों ने बड़े पैमाने पर बाजार में भागीदारी की है। इसके अलावा, Mutual Fund उद्योग का AUM (Assets Under Management) भी 2014 में 9 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 64 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

SIP (Systematic Investment Plan) की भी जबरदस्त वृद्धि हुई, जहां जुलाई 2024 में 23,200 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया। इससे साफ है कि भारतीय निवेशकों का आत्मविश्वास बाजार में मजबूती से बना हुआ है।

घरेलू और विदेशी निवेश का संतुलनbull market

इस तेजी में Domestic Funds का योगदान बेहद महत्वपूर्ण रहा है। भले ही FIIs (Foreign Institutional Investors) ने लगातार बिकवाली की हो, फिर भी बाजार पर इसका खास नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा। Domestic Investors ने इतना मजबूत योगदान दिया कि विदेशी निवेशकों की बिकवाली भी बाजार को प्रभावित नहीं कर पाई।

परिपक्वता का चरण

यह कहना सही होगा कि यह Bull Market अब अपने Maturity Phase में पहुंच चुका है। बाजार में अब भी आशावाद बना हुआ है, और वित्त वर्ष 2025 तक भारत की GDP वृद्धि 7% तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। पिछले चार वर्षों से भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। कॉरपोरेट्स का कर्ज घट रहा है, बैंकिंग प्रणाली की संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है, और मुद्रास्फीति नियंत्रण में है।

अब सतर्क रहने का समय

हालांकि, यह Bull Run अभी भी जारी रह सकता है, लेकिन अब सतर्क रहने की आवश्यकता है। Midcap और Smallcap स्टॉक्स की वैल्यूएशन काफी बढ़ चुकी है, और इसका समर्थन केवल घरेलू तरलता कर रही है। SME Segment में बढ़ता हुआ उत्साह अब चिंता का विषय बन गया है।

फिर भी, निवेशकों के लिए सबसे अच्छा यही होगा कि वे बाजार में बने रहें। लंबे समय में धन निर्माण के लिए यह सबसे उपयुक्त रास्ता है। भले ही Largecap Stocks कुछ ज्यादा सुरक्षित विकल्प हो सकते हैं, पर बाजार की दिशा का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है। इसलिए, सतर्कता और विवेकपूर्ण निर्णय के साथ निवेशित रहना ही बेहतर है। 

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