High-Frequency Trading क्या होता है?
High-Frequency Trading (HFT) एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग की एक प्रमुख तकनीक है, जिसमें कुछ ही सेकंड में बड़ी संख्या में शेयरों की खरीद-बिक्री की जाती है। इसका उद्देश्य बाज़ार में तेजी से बदलाव का लाभ उठाना और छोटे मुनाफ़ों को बार-बार कमाकर कुल मुनाफ़े को अधिकतम करना है।
High-Frequency Trading कैसे काम करता है?
HFT का मूल सिद्धांत यह है कि जितनी अधिक मात्रा में ट्रेड होंगे, मुनाफ़ा उतना ही अधिक होगा। पारंपरिक निवेशक जहाँ स्टॉक्स को लंबे समय तक होल्ड करते हैं, वहीं HFT मिनट या सेकंड के भीतर मुनाफ़ा कमाने पर ध्यान देता है। जटिल एल्गोरिदम की मदद से, HFT सिस्टम स्टॉक्स की कीमतों में होने वाले छोटे बदलावों का फायदा उठाते हैं।
HFT रणनीतियाँ
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मार्केट मेकिंग इस रणनीति में फर्म या निवेशक लगातार किसी स्टॉक को खरीदने या बेचने के लिए तैयार रहते हैं, ताकि बोली-मांग (Bid-Ask) के अंतर से मुनाफ़ा कमा सकें।
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कोट स्टफिंग इसमें बाजार में अस्थिरता बढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में ऑर्डर दिए जाते हैं, जिससे दूसरे निवेशकों को भ्रमित किया जा सके।
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टिक ट्रेडिंग इस रणनीति के तहत एल्गोरिदम अन्य बड़े ट्रेडर्स के ऑर्डर की पहचान करके उससे पहले मुनाफ़ा कमाने का प्रयास करते हैं।
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सांख्यिकीय मध्यस्थता इसमें विभिन्न बाजारों या एक्सचेंजों के बीच कीमत के छोटे-छोटे अंतर से लाभ उठाया जाता है।
High-Frequency Trading के फायदे
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त्वरित मुनाफ़ा HFT की मदद से कीमतों के छोटे उतार-चढ़ाव से तेजी से मुनाफ़ा कमाया जा सकता है।
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बाज़ार में तरलता HFT की वजह से बाजार में अधिक तरलता आती है, जिससे बोली-मांग प्रसार (Bid-Ask Spread) कम हो जाता है और कीमतें अधिक स्थिर होती हैं।
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कम मानवीय त्रुटि एल्गोरिदम और कंप्यूटर सिस्टम पर आधारित होने के कारण, HFT में इंसानी गलतियों की संभावना कम होती है।
High-Frequency Trading के नुकसान
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विनियमन का अभाव HFT में इस्तेमाल किए गए जटिल एल्गोरिदम और सॉफ़्टवेयर की वजह से इसे नियंत्रित करना कठिन होता है।
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मानवीय भूमिका का अंत HFT के आने से पारंपरिक ब्रोकर और निवेशक प्रणाली के स्थान पर स्वचालित सिस्टम का उपयोग हो रहा है।
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एकतरफा मुनाफा खुदरा निवेशकों के पास HFT के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी होती है, जिससे केवल बड़ी फर्में ही इसका फायदा उठा पाती हैं।
निष्कर्ष
High-Frequency Trading (HFT) तेज़ी से मुनाफा कमाने का एक शक्तिशाली तरीका है, लेकिन इसके लिए अत्याधुनिक तकनीकी बुनियादी ढांचे और संसाधनों की आवश्यकता होती है। हालाँकि यह तकनीक बड़े निवेशकों के लिए फायदेमंद हो सकती है, लेकिन खुदरा निवेशकों के लिए यह उतना प्रभावी नहीं है।