ओला इलेक्ट्रिक का शेयर रिकॉर्ड गिरावट
मंगलवार को ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का शेयर 3% गिरकर ₹75.20 के निम्नतम स्तर पर पहुँच गया। यह इसके इशू प्राइस ₹76 से भी कम है, जबकि 20 अगस्त को यह अपने उच्चतम स्तर ₹157.53 पर था। इस तरह, शेयर में 52% की गिरावट देखी गई है। BSE पर ट्रेडिंग के दौरान भारी वॉल्यूम के बीच यह गिरावट आई है।
बढ़ती शिकायतें और प्रतिस्पर्धा का प्रभाव
विश्लेषकों के अनुसार, ओला इलेक्ट्रिक के उत्पादों और आफ्टर-सेल्स सेवा में बढ़ती शिकायतें इसके ब्रांड इमेज और बिक्री पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं। साथ ही, EV टू-व्हीलर सेक्टर में बढ़ती प्रतिस्पर्धा से कंपनी के मार्केट शेयर पर दबाव है।
ट्रेडिंग में गिरावट
सुबह 10:55 पर ओला इलेक्ट्रिक का शेयर ₹75.50 पर ट्रेड कर रहा था, जो कि 2.8% की गिरावट थी, जबकि BSE सेंसेक्स में 0.6% की गिरावट थी। इस समय तक NSE और BSE पर संयुक्त रूप से 17.3 मिलियन इक्विटी शेयरों का लेनदेन हो चुका था।
बाजार में नेतृत्व और व्यवसाय मॉडल
ओला इलेक्ट्रिक को एक प्रमुख ई-टू व्हीलर निर्माता माना जाता है। इसका टेक-फोकस्ड और वर्टिकल इंटीग्रेटेड व्यवसाय मॉडल उच्चतम इंसेंटिव और मजबूत प्रोडक्ट पोर्टफोलियो प्रदान करता है, जिससे यह तेजी से बढ़ते EV सेक्टर में अपने लिए एक विशेष स्थान बना सकता है।
भारतीय EV टू-व्हीलर बाजार की संभावनाएं
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा टू-व्हीलर बाजार है, लेकिन यहां EV टू-व्हीलर का पेनिट्रेशन अभी कम है। हालांकि, FY28 तक इसका हिस्सा बढ़कर 5.4% से 41-56% तक पहुँचने की उम्मीद है। बढ़ते EV पेनिट्रेशन, R&D पर जोर, और नए मॉडल लॉन्च से कंपनी को मीडियम-टर्म में प्रॉफिटेबिलिटी में सुधार की संभावना है।
चुनौतियाँ और जोखिम
बढ़ती प्रतिस्पर्धा, उत्पाद गुणवत्ता और आफ्टर-सेल्स सेवा संबंधी समस्याएं कंपनी की बाजार हिस्सेदारी को प्रभावित कर सकती हैं। कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने कंपनी को “Reduce” रेटिंग देते हुए ₹80 प्रति शेयर का लक्ष्य मूल्य निर्धारित किया है।
Ambit Capital का कहना है कि नए खिलाड़ियों के आगमन और अन्य EV टू-व्हीलर निर्माताओं के विस्तार के कारण FY31 तक ओला इलेक्ट्रिक की बाजार हिस्सेदारी में गिरावट आ सकती है। सरकार की नीतियों में बदलाव, प्रतिस्पर्धा में वृद्धि, और कैपेक्स-इंटेंसिव बिजनेस मॉडल कंपनी के लिए जोखिम उत्पन्न कर सकते हैं।
निष्कर्ष
हालांकि, ओला इलेक्ट्रिक की ग्रोथ संभावनाएं मजबूत हैं, परन्तु बढ़ती प्रतिस्पर्धा, सेवा गुणवत्ता के मुद्दे और बाजार हिस्सेदारी में संभावित गिरावट से कंपनी के भविष्य के प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है।