वारी एनर्जी शेयर स्टॉक प्रदर्शन
वरी एनर्जीज के स्टॉक की कीमतों में पिछले दो कारोबारी दिनों में 10% से अधिक की गिरावट देखी गई। इश्यू प्राइस से 150% रिटर्न देने के बाद, यह तेजी अचानक ठहर गई, जिससे निवेशक चिंतित हो गए हैं। शुक्रवार के कारोबारी सत्र में यह स्टॉक बीएसई पर 6.66% गिरकर 3133.85 रुपये पर बंद हुआ, जिससे कंपनी का मार्केट कैप घटकर 90,030.25 करोड़ रुपये रह गया।
हाल के प्रदर्शन और बाजार धारणा में बदलाव
वरी एनर्जी की शानदार लिस्टिंग और प्रारंभिक वृद्धि के बाद से, बाजार में इसकी काफी चर्चा थी। लेकिन अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और उनके रिन्यूएबल एनर्जी के प्रति कठोर रुख ने इस स्टॉक के निवेशकों के बीच चिंता बढ़ा दी है। ट्रंप का फोकस अमेरिकी एक्सपोर्ट्स पर रहेगा, जो भारतीय सोलर कंपनियों के लिए अनिश्चितता ला सकता है।
ट्रंप की नीतियों का रिन्यूएबल सेक्टर पर संभावित प्रभाव
ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स को सीमित करने का वादा किया, जो भारतीय सोलर कंपनियों के लिए एक चुनौती हो सकता है। अमेरिका के इस नए रुख से वारी एनर्जी जैसे ग्रीन स्टॉक्स पर दबाव बढ़ सकता है, क्योंकि भारतीय सोलर कंपनियाँ बड़े पैमाने पर अमेरिका में मॉड्यूल्स और अन्य उत्पादों का निर्यात करती हैं।
बाजार की प्रतिक्रिया वारी एनर्जीज का शेयर 10% गिरा
ट्रंप की चुनावी जीत के बाद, वारी एनर्जीज के शेयर में दो दिन में 10% की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट मार्केट धारणा पर ट्रंप की नीतियों के प्रभाव को स्पष्ट करती है।
शुक्रवार का समापन और मार्केट कैप में गिरावट
शुक्रवार को बाजार बंद होने तक, बीएसई पर वारी एनर्जीज के स्टॉक की कीमत 3133.85 रुपये पर आ गई। इसके पहले, यह स्टॉक 3186 रुपये तक पहुंचा था। इस गिरावट के साथ, कंपनी का मार्केट कैप एक लाख करोड़ से घटकर 90,030.25 करोड़ रुपये पर आ गया है।
आईपीओ प्राइस और वर्तमान स्थिति
इस गिरावट से पहले वारी एनर्जी का स्टॉक इश्यू प्राइस से 150% ऊपर पहुँच चुका था। कंपनी की लिस्टिंग 2500 रुपये पर हुई थी, जबकि आईपीओ का प्राइस बैंड 1503 रुपये निर्धारित किया गया था।
निष्कर्ष ट्रंप की नीतियों से वारी एनर्जी और ग्रीन स्टॉक्स पर दबाव
डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और उनके रिन्यूएबल एनर्जी के प्रति नए दृष्टिकोण से वारी एनर्जीज जैसी कंपनियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिकी पॉलिसी में बदलाव भारतीय सोलर कंपनियों के लिए चुनौतियां खड़ी कर सकता है, जिससे निवेशकों की धारणा और शेयर की कीमतों में अस्थिरता आ सकती है।