भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के मुख्य कारण
भारतीय शेयर बाजार में पिछले कुछ दिनों से अस्थिरता बनी हुई है। विदेशी निवेशकों के पूंजी निकालने और वैश्विक घटनाओं के प्रभाव के चलते बाजार में भारी गिरावट देखी जा रही है। निफ्टी आईटी इंडेक्स में 3% की गिरावट और अन्य सेक्टर्स में भी कमजोरी साफ तौर पर दिखाई दे रही है।
1. आईटी सेक्टर में भारी दबाव
- निफ्टी आईटी इंडेक्स 3% गिरावट
- बड़ी कंपनियों पर असर
- TCS, इंफोसिस, विप्रो, और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों में 2-4% तक गिरावट।
- कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पावेल के बयान ने निवेशकों का विश्वास कम किया।
2. वैश्विक भू राजनीति का तनाव
- अमेरिकी राष्ट्रपति का निर्णय यूक्रेन को रूस के खिलाफ गहरे हमलों के लिए अमेरिकी मिसाइलों का उपयोग करने की अनुमति।
- इजरायल-ईरान संघर्ष लगातार बढ़ते संघर्ष के कारण वैश्विक बाजार में डर का माहौल।
- नतीजा भारतीय निवेशकों की जोखिम लेने की क्षमता कम हो गई है।
3. इंडिया विक्स में उछाल
- फियर इंडेक्स (इंडिया विक्स) 5% बढ़कर 15 तक पहुंच गया।
- यह दर्शाता है कि निवेशकों में डर और अस्थिरता का माहौल है, जिससे बाजार में दबाव बढ़ रहा है।
4. भारतीय रुपए की कमजोरी
- अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया लगातार कमजोर हो रहा है।
- नतीजा विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बाजारों का आकर्षण कम हो गया है।
5. वैश्विक ब्रोकरेज फर्म का डाउनग्रेड
- वैश्विक ब्रोकरेज फर्म्स द्वारा भारतीय शेयरों को डाउनग्रेड करने से नकारात्मक सेंटीमेंट बढ़ रहा है।
6. अमेरिकी फेडरल रिजर्व का बयान
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया है कि ब्याज दरों में निकट भविष्य में कोई कमी नहीं होगी।
- इससे डॉलर मजबूत हुआ है, और निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकालकर अमेरिकी बाजार की ओर बढ़ रहे हैं।
क्या करें निवेशक?
- लंबी अवधि के निवेश पर ध्यान दें बाजार की मौजूदा गिरावट अस्थायी हो सकती है।
- डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाए रखें विभिन्न सेक्टर्स और एसेट क्लास में निवेश करें।
- अस्थिरता के दौरान धैर्य बनाए रखें इंडिया विक्स के बढ़ने पर घबराएं नहीं।
निष्कर्ष
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक घटनाएं, आईटी सेक्टर का दबाव, और डॉलर की मजबूती है। हालांकि, दीर्घकालिक दृष्टिकोण से यह समय नए अवसरों को खोजने का भी हो सकता है।