SIP Timing Market Top और Bottom
Systematic Investment Plans (SIPs) लॉन्ग-टर्म में wealth creation का एक शक्तिशाली साधन हैं। लेकिन क्या SIP को market cycle के top या bottom पर शुरू करने से रिटर्न पर फर्क पड़ता है? आइए BSE Sensex TRI के 28+ सालों के डेटा के आधार पर इसे समझें।
1. Market Cycles को प्रेडिक्ट करना मुश्किल है
Market cycle के top या bottom का सटीक अनुमान लगाना लगभग असंभव है। इसके बजाय, निवेशक को valuation checklist और disciplined निवेश पर ध्यान देना चाहिए।
2. Wealth Creation Top vs Bottom
- Top पर शुरू हुए SIPs: Absolute gains के मामले में ज्यादा लाभ।
- Bottom पर शुरू हुए SIPs: Percentage returns में थोड़ी बढ़त।
हालांकि, समय के साथ यह अंतर कम हो जाता है।
3. Cost of Delay का प्रभाव
SIP में देरी करना निवेशक के लिए बड़ी opportunity cost हो सकती है।
- जितनी देर market bottom तक पहुंचने में लगेगी,
- उतना ही compounding effect का नुकसान होगा।
4. लॉन्ग-टर्म में रिटर्न का फर्क घटता है
28+ सालों के डेटा से पता चलता है कि लंबे समय में, top या bottom पर शुरू किए गए SIPs के percentage returns में अंतर कम हो जाता है। असली फर्क time in the market से आता है, न कि market timing से।
Takeaway SIP को जल्दी शुरू करें
- चाहे market condition कैसी भी हो, SIPs को जल्द शुरू करना सबसे समझदारी है।
- इससे compounding का लाभ मिलेगा और आप cost of delay से बच सकेंगे।
निष्कर्ष
Market timing से अधिक महत्वपूर्ण है निवेश का समय पर शुरुआत करना। SIPs का लॉन्ग-टर्म अप्रोच न सिर्फ volatility को कम करता है, बल्कि wealth creation को भी प्रभावी बनाता है।