ऑफर फॉर सेल क्या है?

ऑफर फॉर सेल क्या है? नियम, प्रक्रिया और फायदे समझें

OFS ऑफर फॉर सेल क्या है?

Offer for Sale (OFS) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके जरिए कंपनी के प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी घटाने के लिए अपने शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर बेच सकते हैं।

  • इसे 2012 में SEBI ने पेश किया था।
  • मुख्य उद्देश्य कंपनियों को minimum public shareholding norms का पालन करने में मदद करना है।

OFS का उपयोग private और state-owned कंपनियां करती हैं। यहां तक कि सरकार भी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए OFS का उपयोग करती है।

ऑफर फॉर सेल की प्रक्रिया कैसे काम करती है?

ऑफर फॉर सेल की प्रक्रिया कैसे काम करती है?

OFS प्रक्रिया को समझने के लिए इसे पांच चरणों में बांटा जा सकता है:

  1. प्रमोटर्स का निर्णय

    • प्रमोटर्स तय करते हैं कि कितने शेयर OFS के माध्यम से बेचे जाएंगे।
  2. स्टॉक एक्सचेंज को सूचना

    • OFS की प्रक्रिया से दो दिन पहले स्टॉक एक्सचेंज को जानकारी देना अनिवार्य है।
  3. OFS की तारीख की घोषणा

    • यह प्रक्रिया केवल एक ट्रेडिंग दिन के लिए होती है।
  4. फ्लोर प्राइस की घोषणा

    • फ्लोर प्राइस वह न्यूनतम कीमत होती है जिस पर प्रमोटर्स अपने शेयर बेच सकते हैं।
  5. बोली और आवंटन

    • बोली प्रक्रिया के बाद कट-ऑफ प्राइस घोषित होता है।
    • कट-ऑफ प्राइस से कम बोली लगाने वालों को शेयर नहीं मिलते।

ऑफर फॉर सेल में कौन निवेश कर सकता है?

ऑफर फॉर सेल में कौन निवेश कर सकता है?

OFS में दो प्रकार के निवेशक भाग ले सकते हैं

  1. रिटेल निवेशक

    • जिनकी बोली ₹2 लाख से कम की होती है।
  2. संस्थागत निवेशक

    • जिनकी बोली ₹2 लाख से अधिक की होती है।
    • जैसे म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस कंपनियां, और पेंशन फंड।

SEBI के नियम और शर्तें

SEBI ने OFS के लिए निम्नलिखित नियम तय किए हैं

  • निवेश के लिए Demat Account अनिवार्य है।
  • OFS सुविधा केवल शीर्ष 200 कंपनियों (market capitalization के आधार पर) के लिए उपलब्ध है।
  • OFS में 10% शेयर रिटेल निवेशकों के लिए आरक्षित होना चाहिए।
  • OFS में बोली लगाने के लिए 100% मार्जिन जरूरी है।
  • OFS ऑर्डर का समय: सुबह 9:15 बजे से दोपहर 3 बजे तक।

ऑफर फॉर सेल के फायदे

ऑफर फॉर सेल के फायदे

  1. रिटेल निवेशकों को छूट

    • फ्लोर प्राइस पर 5% तक का डिस्काउंट मिलता है।
  2. कम कागजी कार्रवाई

    • यह प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल है।
  3. लागत प्रभावी

    • कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं, केवल रेगुलर ट्रांजैक्शन चार्ज और STT लागू होते हैं।

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