अमेरिकी शेयर बाजार में 2001 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट
बुधवार को अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट फेडरल रिजर्व की तिमाही मौद्रिक नीति बैठक के फैसले के बाद हुई, जिसमें ब्याज दरों में 25 बेसिक पॉइंट्स की कटौती का ऐलान किया गया। यह गिरावट 2001 के बाद सबसे बड़ी मानी जा रही है, जिसका प्रभाव न केवल अमेरिकी बाजार पर, बल्कि ग्लोबल मार्केट पर भी देखा जा रहा है।
फेडरल रिजर्व का फैसला ब्याज दरों में कटौती
फेडरल रिजर्व ने अपनी तिमाही बैठक में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए
- ब्याज दर कटौती
- ब्याज दरों में 25 बेसिक पॉइंट्स की कटौती की गई।
- नई टारगेट रेट रेंज 4.25% से 4.5%
- रिजर्व रेपो रेट 4.55% से घटाकर 4.25%
- आगामी रणनीति
- 2024 में केवल दो बार ब्याज दर कटौती पर विचार किया जाएगा।
अमेरिकी शेयर बाजार पर असर
फेडरल रिजर्व के फैसले ने निवेशकों की चिंताओं को बढ़ा दिया है, जिससे बाजार में उथल-पुथल देखी गई।
- मुख्य कारण
- ब्याज दर कटौती का निर्णय मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए उठाया गया है, लेकिन इसका असर निवेश और उपभोक्ता खर्च पर पड़ सकता है।
- निवेशकों को यह डर सता रहा है कि बार-बार ब्याज दरों में कटौती से आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ सकता है।
- 2001 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट
- यह गिरावट अमेरिकी शेयर बाजार की अनिश्चितता और ग्लोबल मार्केट में बढ़ती बेचैनी का संकेत है।
ग्लोबल मार्केट पर प्रभाव
फेडरल रिजर्व के फैसले का असर केवल अमेरिकी बाजार तक सीमित नहीं है।
- अंतरराष्ट्रीय बाजार
- अन्य देशों के सेंट्रल बैंक भी इस फैसले का असर महसूस कर सकते हैं।
- ग्लोबल इन्वेस्टर्स के लिए अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।
- भारतीय बाजार पर असर
- भारतीय बाजार भी अमेरिकी बाजार की इस गिरावट से प्रभावित हो सकता है। विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में अपनी पोजीशन को लेकर सतर्क हो सकते हैं।
आपकी राय
फेडरल रिजर्व के इस फैसले को लेकर आपकी क्या राय है? क्या यह कदम आर्थिक स्थिरता लाने में सफल होगा, या इससे मंदी का खतरा बढ़ेगा? अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
निवेशकों के लिए सलाह मौजूदा बाजार स्थिति में निवेश से पहले रिसर्च करें और दीर्घकालिक निवेश रणनीतियों को अपनाएं।