डीपफेक और ऑनलाइन धोखाधड़ी
आज के डिजिटल युग में डीपफेक और ऑनलाइन फ्रॉड जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इसी बीच, इंफोसिस के सह-संस्थापक और अध्यक्ष नंदन नीलेकणी ने आधार को इन खतरों से निपटने का एक प्रभावी उपाय बताया है।
नई दिल्ली में आयोजित AIMA सत्र के दौरान मनीकंट्रोल के प्रबंध संपादक नलिन मेहता से बातचीत में नीलेकणी ने कहा कि आधार, बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन और AI तकनीक के जरिए ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है।
भारत को अनोखी चुनौती “डिजिटल गिरफ्तारी” (Digital Arrest)
नंदन नीलेकणी ने “डिजिटल अरेस्ट” नाम की एक नई चुनौती का जिक्र किया, जिसका सामना भारत कर रहा है।
उन्होंने कहा—
“भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां डिजिटल गिरफ्तारियां हो रही हैं। मुझे नहीं लगता कि किसी अन्य देश में इसे धोखाधड़ी की श्रेणी में रखा गया है।”
डिजिटल गिरफ्तारी क्या है?
साइबर अपराधी पीड़ितों को यह विश्वास दिलाते हैं कि वे किसी सरकारी एजेंसी द्वारा हिरासत में लिए गए हैं।
डर और मानसिक दबाव का उपयोग कर वे पैसे ऐंठने या व्यक्तिगत डेटा चुराने का प्रयास करते हैं।
यह धोखाधड़ी वीडियो डीपफेक और नकली ऑडियो क्लोनिंग जैसी तकनीकों का उपयोग करके की जाती है।
आधार बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन साइबर फ्रॉड का समाधान
नंदन नीलेकणी के अनुसार, आधार आधारित बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन डिजिटल धोखाधड़ी से बचाव में मदद कर सकता है।
उन्होंने बताया कि—
लाइवनेस डिटेक्शन (Liveness Detection) के जरिए व्यक्ति यह साबित कर सकता है कि वह वास्तविक है और धोखाधड़ी का शिकार नहीं हुआ है।
AI तकनीक आधार ऑथेंटिकेशन को और अधिक सुरक्षित बना सकती है, जिससे फर्जी पहचान (Fake Identity) और डीपफेक का पर्दाफाश किया जा सकता है।
डेटा सुरक्षा और DPDP अधिनियम
नंदन नीलेकणी ने डेटा सुरक्षा पर भी जोर दिया और डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) अधिनियम को एक मजबूत कानूनी ढांचा बताया।
DPDP अधिनियम क्यों महत्वपूर्ण है?
AI सिस्टम को बड़ी मात्रा में डेटा की जरूरत होती है, लेकिन इसका दुरुपयोग न हो, यह सुनिश्चित करना जरूरी है।
DPDP अधिनियम निजी डेटा की सुरक्षा और AI के जिम्मेदार उपयोग को नियंत्रित करता है।
यह साइबर अपराधियों को डेटा चुराने से रोकने में सहायक हो सकता है।
नीलेकणी ने कहा—
“लोग वाजिब रूप से चिंतित होंगे अगर उनके डेटा का अनुचित उपयोग हो रहा है। सौभाग्य से, हमारे पास एक बहुत अच्छा डीपीडीपी अधिनियम है, जो AI उपयोग को भी नियंत्रित करेगा।”
नीलेकणी का मानना है कि यदि सही तकनीक और नियमों का पालन किया जाए, तो भारत डिजिटल फ्रॉड से सुरक्षित रह सकता है।