Air India ने IndiGo-Turkish Airlines डील
Air India ने भारतीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय से मांग की है कि वह IndiGo और Turkish Airlines के बीच चल रहे leasing agreement पर रोक लगाए। एयर इंडिया का दावा है कि यह डील न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि इससे भारत के व्यावसायिक हितों को भी नुकसान पहुंच रहा है।
क्या है IndiGo-Turkish Airlines की डील?
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2023 से चल रहा leasing tie-up, जिसमें Turkish Airlines के दो विमान, उनके क्रू और पायलट्स के साथ दिल्ली और मुंबई से इस्तांबुल तक उड़ान भरते हैं।
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दोनों कंपनियों के बीच codeshare agreement भी है, जिससे भारत से 40 से अधिक इंटरनेशनल डेस्टिनेशन्स (जैसे यूरोप और अमेरिका) तक seamless travel की सुविधा मिलती है।
Air India की आपत्ति – मुख्य बिंदु
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राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा
Air India ने आरोप लगाया है कि तुर्किये का पाकिस्तान समर्थन भारत के लिए संवेदनशील मुद्दा है, और ऐसे देश से बिजनेस रिलेशन भारत के हितों के खिलाफ हैं। -
राजनीतिक माहौल असहज
हाल के महीनों में भारत में तुर्की उत्पादों का बहिष्कार और टूरिज्म बैन की मांग बढ़ी है। ऐसे में तुर्की एयरलाइंस को भारत में सुविधा देना गलत संदेश देता है। -
बिजनेस में असमानता
Air India का दावा है कि हर छह महीने पर इस डील को बढ़ाया जा रहा है, जिससे तुर्की की सीट कैपेसिटी बढ़ी है और उनका टूरिज्म मजबूत हुआ है। इससे भारतीय एविएशन इंडस्ट्री को नुकसान हुआ है। -
प्रोत्साहन तुर्किये को, घाटा भारत को
एयर इंडिया का मानना है कि इस डील से तुर्किये की इकॉनमी को सपोर्ट मिल रहा है जबकि भारत के अंदर इंडियन कैरियर्स की ग्रोथ बाधित हो रही है।
सरकार का रुख और ताजा घटनाक्रम
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भारत सरकार ने Celebi Aviation, जो कि एक तुर्किश ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी है, की security clearance रद्द कर दी है।
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यह निर्णय भी राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए लिया गया है।
Air India के दस्तावेज में क्या लिखा है?
Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, Air India द्वारा सरकार को भेजे गए दस्तावेजों में लिखा है:
“यह लीजिंग व्यवस्था तुर्किये में एयर कैपेसिटी बढ़ा रही है, जिससे वहां की एयरलाइन और टूरिज्म सेक्टर को प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है। यह भारत के बिजनेस और जियो-पॉलिटिकल हितों के खिलाफ है।”
निष्कर्ष
Air India और IndiGo के बीच यह संघर्ष केवल कॉर्पोरेट प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और विमानन रणनीति से जुड़ा मामला बन गया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है — क्या डील को मंजूरी मिलती रहेगी, या इसे रोकने के लिए नियम बदले जाएंगे।