ऑप्शन ट्रेडिंग में स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट को समझें

ऑप्शन ट्रेडिंग में स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट को समझें

स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट क्या है?

ऑप्शन ट्रेडिंग में स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट दो मुख्य घटक हैं, जो ट्रेडिंग रणनीतियों और संभावित लाभ-हानि को प्रभावित करते हैं। आइए जानें कि ये कैसे काम करते हैं और इनके क्या प्रभाव हो सकते हैं

1. स्ट्राइक प्राइस (Strike Price) क्या है?

स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट क्या है

स्ट्राइक प्राइस वह प्राइस है जिस पर ऑप्शन होल्डर को भविष्य में स्टॉक खरीदने या बेचने का अधिकार होता है। इसे समझने के लिए, मान लीजिए कि स्टॉक का मौजूदा मूल्य ₹100 है और आपने ₹110 स्ट्राइक प्राइस पर कॉल ऑप्शन खरीदा है। इसका मतलब है कि आप स्टॉक को ₹110 पर खरीद सकते हैं, चाहे उस समय बाजार में स्टॉक का मूल्य कुछ भी हो।

  • कॉल ऑप्शन भविष्य में खरीद का अधिकार देता है।
  • पुट ऑप्शन भविष्य में बेचने का अधिकार देता है।

2. एक्सपायरी डेट (Expiry Date) क्या होती है?

एक्सपायरी डेट वह तारीख है जब ऑप्शन की वैधता समाप्त हो जाती है। इसके बाद ऑप्शन का कोई मूल्य नहीं रहता। यह या तो साप्ताहिक या मासिक हो सकती है।

  • मासिक एक्सपायरी हर महीने के अंतिम गुरुवार को होती है।
  • साप्ताहिक एक्सपायरी निफ्टी और बैंक निफ्टी जैसे इंडेक्स में हर गुरुवार को होती है।

उदाहरण 30 नवंबर एक्सपायरी का ऑप्शन खरीदने का मतलब है कि उस तारीख तक आप अपने ऑप्शन का लाभ उठा सकते हैं।

ऑप्शन ट्रेडिंग में स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट का महत्व

स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट क्या है?

  1. स्ट्राइक प्राइस और लाभ/हानि की संभावना
    यदि आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत बढ़ेगी, तो कॉल ऑप्शन का चुनाव किया जा सकता है। स्ट्राइक प्राइस यह निर्धारित करेगा कि आपका संभावित लाभ या हानि कितना होगा। वहीं पुट ऑप्शन में स्ट्राइक प्राइस यह तय करेगा कि स्टॉक की कीमत कितनी गिरनी चाहिए ताकि आपको लाभ हो।

  2. एक्सपायरी डेट का प्रभाव
    एक्सपायरी डेट पास आते ही ऑप्शन के मूल्य में टाइम डिके का असर बढ़ जाता है। इससे ऑप्शन की वैल्यू घट सकती है, इसलिए एक्सपायरी से पहले सही निर्णय लेना महत्वपूर्ण होता है।

  3. लघु अवधि बनाम दीर्घ अवधि के विकल्प
    लंबी एक्सपायरी वाले ऑप्शंस का टाइम डिके प्रभाव कम होता है लेकिन ये महंगे होते हैं। वहीं, कम एक्सपायरी वाले ऑप्शंस सस्ते हो सकते हैं पर इनमें टाइम डिके का असर अधिक होता है।

निष्कर्ष

ऑप्शन ट्रेडिंग में स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट का चयन आपकी ट्रेडिंग रणनीति और संभावित लाभ-हानि को प्रभावित करता है। इन दोनों कारकों को समझकर और सही निर्णय लेकर आप अपनी ट्रेडिंग में बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

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