फेडरल रिजर्व की ब्याज दर कटौती का भारतीय शेयर बाजार और निफ्टी पर प्रभाव
पिछले तीन दशकों में, अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Fed) की ब्याज दर कटौती का भारतीय शेयर बाजार, खासकर निफ्टी (Nifty) पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। फेड की दरों में कटौती वैश्विक लिक्विडिटी बढ़ाने का संकेत होती है, जिससे उभरते हुए बाजारों में पूंजी का प्रवाह बढ़ जाता है। इसका सकारात्मक असर निफ्टी पर देखा गया है, हालांकि विभिन्न समयावधियों में इसके प्रभाव अलग-अलग रहे हैं।
1990 के दशक में फेड नीतियों का सीमित प्रभाव
1990 के दशक में जब भी फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की गई, भारतीय बाजारों पर इसका तुरंत कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा। इसका मुख्य कारण यह था कि उस समय भारतीय बाजार वैश्विक पूंजी प्रवाह से उतने जुड़े हुए नहीं थे। उस समय भारत का शेयर बाजार इतना वैश्विक नहीं था और फेड की नीतियों का सीधा असर नहीं दिखता था। हालांकि, इस समयावधि में ग्लोबलाइजेशन का उदय शुरू हो चुका था, जिससे फेड की नीतियों का असर बढ़ने लगा।
2000 के दशक में फेड की दर कटौती का निफ्टी पर बढ़ता प्रभाव
2000 के दशक में, खासकर 2008 की वैश्विक वित्तीय संकट के समय, फेड की ब्याज दरों में कटौती का निफ्टी पर काफी सकारात्मक प्रभाव देखा गया। जब 2008-09 के दौरान फेड ने आक्रामक रूप से ब्याज दरों में कटौती की, तो भारतीय बाजार में भी रिकवरी देखी गई। इस दौरान वैश्विक स्तर पर निवेशकों का विश्वास लौट आया और भारतीय इक्विटी बाजारों में पूंजी का प्रवाह बढ़ा, जिससे निफ्टी में भी तेज उछाल देखा गया।
इस समयावधि में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार को एक मजबूत निवेश गंतव्य के रूप में देखा। फेड की दरों में कटौती से अमेरिका और यूरोप के निवेशकों के लिए भारतीय बाजारों में निवेश करना आकर्षक बन गया। इसके परिणामस्वरूप, निफ्टी ने तेज़ी से बढ़त दर्ज की।
2010 के दशक में निफ्टी पर स्थिरता और वृद्धि
2010 के दशक में फेड की ब्याज दरों में कटौती के समय भी निफ्टी पर सकारात्मक प्रभाव देखा गया। खासकर 2019 में जब फेड ने दरों में कमी की, निफ्टी में स्थिरता और वृद्धि देखी गई। हालांकि इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था में कई घरेलू कारक जैसे आर्थिक सुधार, कॉरपोरेट अर्निंग्स आदि भी अहम भूमिका निभा रहे थे, लेकिन फेड की नीतियों ने विदेशी निवेशकों का ध्यान भारतीय बाजार की ओर आकर्षित किया।
इस समयावधि में निफ्टी की वृद्धि मुख्य रूप से विदेशी निवेश पर निर्भर रही। फेड की दर कटौती से वैश्विक पूंजी भारतीय बाजार की ओर बढ़ी और निफ्टी ने लाभ कमाया।
दीर्घकालिक प्रभाव और फेड नीतियों का महत्व
फेड की ब्याज दर कटौती का निफ्टी पर दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव देखा गया है, खासकर जब वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता बढ़ती है। जब भी वैश्विक स्तर पर मंदी या आर्थिक संकट का माहौल बनता है, फेड की नीतियों के कारण भारतीय शेयर बाजार विदेशी निवेश से लाभान्वित होता है।
उभरते हुए बाजारों में, जैसे कि भारत, फेड की दर कटौती का मतलब है कि विदेशी निवेशकों को अधिक आकर्षक रिटर्न मिल सकता है। इस वजह से भारतीय बाजार, विशेष रूप से निफ्टी, फेड की नीतियों से पूंजी प्रवाह के रूप में लाभ उठाता है। फेड की नीतियों पर निर्भरता के कारण भारतीय बाजार को वैश्विक बाजारों से जुड़ने और स्थिरता बनाए रखने में मदद मिली है।