भारतीय शेयर बाजार में FIIs और DIIs की भूमिका
FIIs की भूमिका
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Capital Inflow in Market
FIIs भारतीय बाजार में विदेशी पूंजी का प्रवाह बढ़ाते हैं, जिससे लिक्विडिटी बढ़ती है और बाजार में तेजी का माहौल बनता है। -
Market Stability and Volatility
FIIs का निवेश विदेशी आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है। विदेशी बाजार स्थिर होने पर FIIs का निवेश बढ़ता है, जबकि अनिश्चितता के समय FIIs बिकवाली कर सकते हैं, जिससे बाजार में उतार-चढ़ाव आता है। -
Impact on Valuation
FIIs का मुख्य निवेश ब्लू-चिप और बड़ी कंपनियों में होता है, जिससे इनके शेयर का मूल्यांकन और कीमत में उछाल आता है। -
Effect on the Indian Rupee
FIIs का निवेश भारतीय रुपये की स्थिरता पर असर डालता है। अधिक निवेश से रुपया मजबूत होता है और बिकवाली से कमजोर।
DIIs की भूमिका
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Providing Stability
DIIs, जैसे म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियाँ, बाजार में स्थिरता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। FIIs बिकवाली करने पर DIIs का खरीदारी संतुलन बनाए रखती है। -
Long-term Investment
DIIs का लंबी अवधि का निवेश बाजार में स्थायित्व लाता है, जो छोटे निवेशकों के विश्वास को बनाए रखता है। -
Maintaining Valuation
DIIs अपने निवेश के लिए मिडकैप, स्मॉलकैप और ब्लू-चिप कंपनियों को चुनते हैं, जिससे विभिन्न सेक्टरों का मूल्यांकन उचित स्तर पर बना रहता है। -
Guidance for Domestic Investors
DIIs का निवेश रुझान घरेलू निवेशकों के लिए एक दिशा-निर्देश का काम करता है। DIIs के निवेश से छोटे निवेशकों को भी मार्गदर्शन मिलता है।
FIIs और DIIs का सामूहिक प्रभाव
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Market Direction
FIIs और DIIs दोनों के संयुक्त निवेश से बाजार में एक स्थिर दिशा मिलती है। इनके एक साथ बिकवाली करने पर बाजार में गिरावट आ सकती है। -
Effect on Price and Liquidity
FIIs और DIIs के निवेश से बाजार में लिक्विडिटी और शेयर की कीमतों में स्थिरता बनी रहती है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, FIIs और DIIs दोनों भारतीय शेयर बाजार में संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। इनके निवेश से बाजार में स्थिरता, दिशा और मूल्यांकन में सकारात्मक असर आता है, जिससे छोटे और बड़े निवेशकों को लाभ होता है।