FII द्वारा आयी बड़ी बिकवाली
अक्टूबर में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय शेयर बाजार के द्वितीयक बाजारों में लगभग 10 बिलियन डॉलर के शेयर बेचे हैं, जबकि प्राथमिक बाजारों में उनका निवेश जारी है, जहाँ IPO की लहर देखी जा रही है। अक्टूबर में अब तक FII ने प्राथमिक बाजारों में 645 मिलियन डॉलर का निवेश किया है।
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के अनुसार, FII लगातार 12 सत्रों तक द्वितीयक बाजारों में शुद्ध विक्रेता रहे और 17 अक्टूबर तक लगभग 9.9 बिलियन डॉलर की बिकवाली की। इसके अलावा, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के आंकड़ों के मुताबिक, 18 अक्टूबर को FII ने 5,485 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
Record Outflow by FII
अक्टूबर में FII ने अब तक का सबसे बड़ा मासिक बहिर्वाह दर्ज किया है। इससे पहले सबसे बड़ा बिकवाली मार्च 2020 में लगभग 8.3 बिलियन डॉलर का था। वहीं, Garuda Construction and Engineering और Hyundai Motor India Limited जैसे प्रमुख IPO के कारण प्राथमिक बाजार में 28,000 करोड़ रुपये से अधिक की महत्वपूर्ण गतिविधि देखी गई है। इसके अतिरिक्त, अक्टूबर में 267 करोड़ रुपये के पांच SME IPO भी लॉन्च हुए हैं।
Impact of US Markets and FII Outflow from India
स्वतंत्र विश्लेषक अजय बग्गा के अनुसार, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दर कटौती की संभावनाओं और मजबूत अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों ने अमेरिकी डॉलर को मजबूत किया, जिससे US Bond Yields में वृद्धि हुई और इसका नकारात्मक प्रभाव उभरते बाजारों पर पड़ा। इसके अलावा, चीन के प्रोत्साहन उपायों के कारण चीनी बाजार अधिक आकर्षक हो गए, जिससे “भारत बेचो, चीन खरीदो” की प्रवृत्ति देखने को मिली।
High Valuation and Slow Growth in Indian Markets
विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार वर्तमान में उच्च मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे हैं, जो धीमी आर्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति, उच्च कर और ब्याज दरों जैसी मौजूदा परिस्थितियों के साथ मेल नहीं खाता। इसके साथ ही, हालिया तिमाही आय रिपोर्ट्स भी उम्मीद से कमजोर रही हैं, जिससे FII बहिर्वाह को और बढ़ावा मिला है।
Support from Domestic Institutional Investors (DII)
वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के क्रांति बाथिनी का कहना है कि हाल के महीनों में भारत में सट्टा पूंजी का बड़ा प्रवाह हुआ था, लेकिन अब “भारत बेचो, चीन खरीदो” की रणनीति अपनाई जा रही है, जिससे भारत से पूंजी का बहिर्वाह हो रहा है। इसके बावजूद, Domestic Institutional Investors (DII) का प्रवाह मजबूत बना हुआ है, जो भारतीय बाजार को कुछ हद तक समर्थन प्रदान कर रहा है।
निष्कर्ष
विदेशी निवेशकों की द्वितीयक बाजार में भारी बिकवाली और प्राथमिक बाजार में सक्रियता ने भारतीय बाजार को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। उच्च मूल्यांकन और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के बावजूद, DII से मिल रहे समर्थन ने बाजार में कुछ स्थिरता बनाए रखी है।