भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट, RBI रिपोर्ट में $4.89 अरब की कमी

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट

विदेशी मुद्रा भंडार घटकर $685.73 अरब पर पहुँचा

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 16 मई 2025 को समाप्त सप्ताह में भारत का Foreign Exchange Reserve $4.89 अरब घटकर $685.73 अरब रह गया।
इससे पिछले सप्ताह में $4.55 अरब की वृद्धि दर्ज की गई थी और रिज़र्व $690.62 अरब तक पहुँच गया था।

सितंबर 2024 में भारत का फॉरेक्स रिज़र्व $704.88 अरब के ऑल-टाइम हाई पर पहुँच गया था, जिसके बाद से इसमें हल्की गिरावट देखी जा रही है।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट

Foreign Currency Assets (FCA) में मामूली बढ़त

RBI के मुताबिक

  • Foreign Currency Assets (FCA) 27.9 करोड़ डॉलर की मामूली बढ़ोतरी के साथ $581.65 अरब पर पहुँचे।

  • FCA भारत के कुल फॉरेक्स रिज़र्व का सबसे बड़ा हिस्सा होता है।

  • इसमें यूरो, पाउंड और येन जैसी अन्य मुद्राओं में उतार-चढ़ाव का प्रभाव भी शामिल होता है।

Gold Reserve में तेज गिरावट

  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत का स्वर्ण भंडार $5.12 अरब घटकर $81.22 अरब रह गया।

  • यह गिरावट एक सप्ताह पहले के $4.52 अरब की बढ़ोतरी के ठीक बाद हुई है।

  • इससे संकेत मिलता है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में अस्थिरता का असर सीधे तौर पर भंडार पर पड़ रहा है।

SDRs और IMF में जमा राशि में भी गिरावट

  • Special Drawing Rights (SDRs) में $4.3 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई, जिससे यह $18.49 अरब पर पहुँच गया।

  • वहीं, IMF (International Monetary Fund) में भारत की जमा राशि $30 लाख घटकर $4.37 अरब रह गई।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट

RBI हर सप्ताह जारी करता है डाटा

RBI हर हफ्ते देश के

  • Foreign Exchange Reserves

  • Gold Reserves

  • Special Drawing Rights (SDRs)

  • IMF Deposits

…से संबंधित डेटा जारी करता है ताकि देश की आर्थिक स्थिति और विदेशी मुद्रा की स्थिरता पर नजर रखी जा सके।

निष्कर्ष

विदेशी मुद्रा भंडार में आई यह गिरावट मुख्य रूप से सोने के भंडार में भारी कमी और SDRs में गिरावट की वजह से हुई है।
हालांकि FCA में मामूली वृद्धि यह संकेत देती है कि भारत की फॉरेन करेंसी पोर्टफोलियो अभी स्थिर बनी हुई है।

आने वाले सप्ताहों में अंतरराष्ट्रीय बाजार की चाल और डॉलर की स्थिति इस पर बड़ा असर डाल सकती है।

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