विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की भारतीय शेयर बाजार में वापसी
पिछले दो महीनों की भारी बिकवाली के बाद, Foreign Portfolio Investors (FPI) ने दिसंबर 2024 में भारतीय शेयर बाजार में जोरदार वापसी की है।
- दिसंबर 2024: 24,454 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश।
- यह निवेश वैश्विक स्थिरता और US Federal Reserve द्वारा संभावित ब्याज दर कटौती के अनुमानों के चलते हुआ।
1. 2024 में FPI का निवेश ट्रेंड
महीना | निवेश (करोड़ रुपये) | ट्रेंड |
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दिसंबर | 24,454 | भारी निवेश (पॉजिटिव) |
नवंबर | -21,612 | भारी निकासी (नेगेटिव) |
अक्टूबर | -94,017 | सबसे बड़ी निकासी |
सितंबर | 57,724 | 9 महीने का उच्चतम स्तर |
2024 में अब तक, FPI ने भारतीय बाजारों में कुल 9,435 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है।
2. FPI निवेश के प्रमुख कारक
Morningstar Investment Research India के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार, FPI के निवेश पर निम्नलिखित कारकों का प्रभाव पड़ता है
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वैश्विक आर्थिक नीतियां
- US Federal Reserve द्वारा ब्याज दरों में संभावित कटौती।
- Donald Trump की नीतियों का वैश्विक बाजारों पर प्रभाव।
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भू-राजनीतिक परिस्थितियां (Geopolitical Landscape)
- चीन की इक्विटी पर अनिश्चितता के कारण भारतीय बाजार को प्राथमिकता।
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भारतीय कंपनियों की Q3 आय (Earnings)
- अक्टूबर-दिसंबर 2024 की आय के बेहतर अनुमानों ने निवेश को प्रेरित किया।
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बाजार सुधार (Market Corrections)
- हाल के मार्केट करेक्शन्स ने निवेशकों को आकर्षक कीमतों पर निवेश का अवसर दिया।
3. डेट मार्केट में FPI का प्रदर्शन
दिसंबर 2024 | डेट जनरल लिमिट | डेट VRR (Voluntary Retention Route) |
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निकासी: | 142 करोड़ रुपये | – |
निवेश: | – | 355 करोड़ रुपये |
2024 में अब तक FPI का कुल डेट मार्केट निवेश 1.07 लाख करोड़ रुपये रहा।
4. FPI का भारतीय इक्विटी में योगदान
FPI के वापस लौटने से
- लिक्विडिटी में वृद्धि
बाजार में कैश फ्लो बढ़ने से छोटे और बड़े निवेशकों को लाभ। - वोलैटिलिटी कम
भारतीय शेयर बाजारों में स्थिरता। - सेक्टर आधारित निवेश
- प्रमुख सेक्टर: IT, BFSI (Banking, Financial Services, Insurance)।
- निवेश का बढ़ता झुकाव मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक्स की ओर।
5. भविष्य की संभावनाएं
आने वाले महीनों में FPI की भागीदारी निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करेगी:
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ब्याज दरों में कटौती
अगर US Federal Reserve ब्याज दरें घटाता है, तो निवेश में और तेजी आएगी। -
वैश्विक अर्थव्यवस्था
चीन और यूरोप की आर्थिक अनिश्चितताएं भारतीय बाजारों को और आकर्षक बना सकती हैं। -
घरेलू प्रगति
भारत की स्थिर आर्थिक नीतियां और PLI स्कीम निवेशकों को प्रोत्साहित करेंगी।
निष्कर्ष
FPI की भारतीय शेयर बाजार में वापसी न केवल सकारात्मक संकेत है, बल्कि यह निवेशकों के बढ़ते भरोसे को भी दर्शाता है।
हालांकि, भू-राजनीतिक और आर्थिक कारक अभी भी इस प्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं।
निवेशकों को दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखते हुए अपने निर्णय लेने चाहिए।
क्या आप FPI निवेश के इस ट्रेंड से सहमत हैं? अपने विचार हमें जरूर बताएं!