Q1 FY2025 GDP वृद्धि में गिरावट की संभावना: ICRA की 6% की भविष्यवाणी, H2 में सुधार के संकेत
अगस्त 2024 के अंत में जारी होने वाले Q1 FY2025 के GDP डेटा पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। ICRA की रिपोर्ट के अनुसार, इस तिमाही में भारत की GDP वृद्धि 6% तक गिरने की संभावना है, जो Q4 FY2024 के 7.8% के मुकाबले काफी कम है। यह गिरावट मौद्रिक नीति समिति (MPC) के 7.1% के पूर्वानुमान से भी कम है, लेकिन ICRA का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी और तकनीकी कारकों के कारण है।
GDP और GVA वृद्धि में अंतर का प्रभाव
Q1 FY2025 में GDP वृद्धि में इस गिरावट का एक बड़ा कारण GDP और सकल मूल्य वर्धित (GVA) वृद्धि के बीच के अंतर का कम होना है। FY2024 की दूसरी छमाही में सब्सिडी बिल में भारी गिरावट ने GDP और GVA वृद्धि के बीच खाई को बढ़ा दिया था। FY2025 की पहली तिमाही में सरकार के सब्सिडी व्यय और अप्रत्यक्ष करों में मामूली वृद्धि से यह खाई घटकर लगभग 30 बीपीएस रह जाएगी, जिससे GDP वृद्धि संकुचित हो जाएगी।
निवेश गतिविधि और उपभोक्ता विश्वास पर असर
FY2025 की पहली तिमाही में निवेश गतिविधि में मंदी के संकेत मिल रहे हैं, जिसका मुख्य कारण संसदीय चुनावों के प्रभाव और परियोजनाओं के चालू होने में देरी से जुड़ी अनिश्चितताएं हो सकती हैं। इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा पूंजीगत व्यय में भी कमी आई है, जिससे सकल स्थिर पूंजी निर्माण (GFCF) की वृद्धि धीमी होने की संभावना है। साथ ही, RBI के उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण से पता चलता है कि शहरी उपभोक्ता भावनाएँ कमजोर हुई हैं, जो हीटवेव और खाद्य कीमतों में वृद्धि से प्रभावित हो सकती हैं।
विनिर्माण और निर्माण क्षेत्रों की चुनौतियाँ
GDP वृद्धि में मंदी मुख्य रूप से विनिर्माण और निर्माण क्षेत्रों की सुस्ती के कारण हो सकती है। वैश्विक कमोडिटी कीमतों में उछाल से विनिर्माण कंपनियों के लाभ मार्जिन में कमी आई है, और विनिर्माण IIP वॉल्यूम में भी गिरावट देखी गई है। साथ ही, Q1 FY2025 में निर्माण गतिविधि में भी सुस्ती देखने को मिली है, जो इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े संकेतकों के कमजोर प्रदर्शन के कारण हो सकती है।
H2 FY2025 के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण
हालांकि Q1 FY2025 में GDP वृद्धि में गिरावट देखने को मिल सकती है, लेकिन H2 FY2025 के लिए दृष्टिकोण सकारात्मक है। सरकारी पूंजीगत व्यय में तेजी और खरीफ की अच्छी फसल से ग्रामीण मांग में वृद्धि होनी चाहिए। साथ ही, शहरी उपभोक्ता विश्वास में सुधार से भी विकास दर में उछाल आने की संभावना है।
MPC और मौद्रिक नीति पर संभावित प्रभाव
अगर Q1 FY2025 की GDP वृद्धि ICRA की अपेक्षाओं के अनुसार होती है, तो MPC को अपने FY2025 के लिए 7.2% के GDP अनुमान में संशोधन करना पड़ सकता है। इससे MPC को अक्टूबर 2024 की बैठक में विकास के दृष्टिकोण को अधिक महत्व देने की संभावना है। इसके अलावा, जुलाई और अगस्त 2024 के CPI मुद्रास्फीति आंकड़ों में गिरावट से MPC का रुख मौद्रिक सहजता की ओर बदल सकता है।
निष्कर्ष
Q1 FY2025 में GDP वृद्धि में संभावित गिरावट चिंता का विषय नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह अस्थायी कारकों से प्रेरित है। H2 FY2025 में विकास दर में उछाल की उम्मीद के साथ, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है। हालांकि, MPC के निर्णय और मौद्रिक नीति पर नए बाहरी सदस्यों के विचार महत्वपूर्ण होंगे, जो आने वाले समय में आर्थिक दिशा को प्रभावित कर सकते हैं।