भारतीय Government Securities Market संरचना

भारतीय Government Securities Market संरचना, महत्व और सुधार की सिफारिशें

भारतीय Government Securities Market संरचना

भारतीय Government Securities Market देश के डेब्ट मार्केट की रीढ़ है। यह सरकारी उधारी का प्रमुख माध्यम है और अन्य वित्तीय साधनों की कीमत तय करने के लिए एक बेंचमार्क प्रदान करता है।

Government Securities की संरचना

  1. Central और State Government Securities
    • RBI दोनों के लिए डेब्ट मैनेजर और इश्यूअर के रूप में कार्य करता है।
  2. RBI की भूमिका
    • Ownership रिकॉर्ड बनाए रखना।
    • Transactions और Market Regulation का प्रबंधन।

भारतीय Government Securities Market संरचना

वर्तमान स्थिति

  • आंकड़े
    • Union Budget में Fresh Borrowing Programme की घोषणा।
    • RBI द्वारा secondary market transactions और repo operations के आंकड़े नियमित रूप से प्रकाशित।
  • Technological Upgradation
    • RBI ने Public Debt Office (PDO) को automate किया, जिससे ऑनलाइन ट्रेडिंग और सेटलमेंट में सुधार हुआ।

कानूनी ढांचा

  1. Government Securities Act
    • इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर और पेपरलेस सेटलमेंट को बढ़ावा।
  2. Securities Contracts Act, 1956
    • Government securities और derivatives के लिए RBI को नियामक अधिकार।

मौजूदा प्रणाली की खामियां

  1. State Government Data
    • State borrowings के आंकड़े नियमित रूप से प्रकाशित नहीं होते।
  2. Ownership Pattern
    • आंकड़े सालाना आधार पर जारी होते हैं।
  3. Maturity Profile
    • Central और State loans की maturity profile की विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं।
  4. Scrip-wise Details
    • Loan details नियमित रूप से जारी नहीं होतीं।
  5. Guaranteed Bonds
    • इन्हें एक अलग श्रेणी के रूप में मान्यता नहीं।

भारतीय Government Securities Market संरचना

सुधार और सिफारिशें

  1. Ownership Pattern
    • डेटा मासिक और त्रैमासिक आधार पर प्रकाशित हो।
  2. Maturity Profile
    • Loans की residual maturity और coupon rates के अनुसार विस्तृत आंकड़े।
  3. State Government Borrowings
    • नियमित रूप से साप्ताहिक, त्रैमासिक और वार्षिक डेटा जारी किया जाए।
  4. Guaranteed Bonds
    • इन्हें अलग श्रेणी में पहचानकर एक information system विकसित हो।

निष्कर्ष

इन सुधारों से Government Securities Market की पारदर्शिता और सुदृढ़ता में वृद्धि होगी। यह कदम निवेशकों का भरोसा बढ़ाने और भारत के डेब्ट मार्केट को और अधिक प्रभावी बनाने में सहायक होंगे।

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