भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट
28 फरवरी 2025 को भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी और सेंसेक्स में इस गिरावट की उम्मीद बहुत कम लोगों ने की थी। इस गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं, जिनमें विदेशी निवेशकों (FII) की भारी बिकवाली सबसे बड़ा कारण रही।
सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट का हाल
- निफ्टी 50 में 420 अंकों की गिरावट आई और यह 22,112 के स्तर पर बंद हुआ।
- सेंसेक्स 1414 अंक गिरकर 73,198 पर बंद हुआ।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली का दबाव
- 28 फरवरी को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय बाजार में 11,639 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
- इस बिकवाली का प्रभाव पूरे हफ्ते दिखा, जिसमें कुल 22,011.38 करोड़ रुपये के शेयर बेचे गए।
- भारतीय बाजार की ऊंची वैल्यूएशन और अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी को लेकर बढ़ती चिंता ने इस बिकवाली को और तेज कर दिया।
अमेरिकी बाजारों में गिरावट का असर
27 फरवरी को अमेरिकी शेयर बाजार में भी भारी गिरावट देखने को मिली, जिसका प्रभाव भारतीय बाजार पर भी पड़ा।
- Nasdaq में 550 अंकों की गिरावट रही।
- Dow Jones 200 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ।
- Nvidia के शेयरों में 8.5 प्रतिशत की गिरावट आई, जिससे Nasdaq को भारी नुकसान हुआ।
- इसका असर भारतीय आईटी सेक्टर पर पड़ा और निफ्टी आईटी इंडेक्स में चार प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई।
अमेरिकी ट्रेड वॉर की चिंता से बाजार में घबराहट
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मैक्सिको और कनाडा से इंपोर्ट पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की।
- चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया।
- यूरोपीय संघ से आने वाले शिपमेंट पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की योजना बनाई गई।
इससे वैश्विक स्तर पर ट्रेड वॉर का खतरा बढ़ गया, जिससे सप्लाई चेन बाधित हो सकती है और महंगाई में इजाफा हो सकता है। इसके चलते विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से पैसा निकालना शुरू कर दिया।
घरेलू निवेशकों की खरीदारी ने बाजार को गिरने से बचाया
- 28 फरवरी को घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 12,308.63 करोड़ रुपये की खरीदारी की।
- पूरे हफ्ते में घरेलू निवेशकों ने कुल 22,252.17 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
- इस खरीदारी ने बाजार को गिरने से कुछ हद तक बचाया, लेकिन विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली के चलते गिरावट को रोकना संभव नहीं हो सका।
भारतीय अर्थव्यवस्था और जीडीपी ग्रोथ के संकेत
- तीसरी तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.2 प्रतिशत दर्ज की गई।
- यह दर्शाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।
- वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है।
क्या निवेशकों को घबराने की जरूरत है?
- विशेषज्ञों के अनुसार, यह भारतीय शेयर बाजार में पिछले 29 वर्षों का सबसे बड़ा करेक्शन हो सकता है।
- हालांकि, हर गिरावट के बाद बाजार में रिकवरी आती है।
- लंबी अवधि में भारतीय बाजार की संभावनाएं अब भी सकारात्मक बनी हुई हैं।
निवेशकों के लिए सुझाव
- इस तरह की गिरावट में घबराने की जरूरत नहीं है।
- बिना सोचे-समझे शेयर बेचने से बचें।
- लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाले निवेशकों को मजबूत कंपनियों के शेयरों में निवेश का अवसर तलाशना चाहिए।
- किसी भी निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से राय जरूर लें।