IPO क्या होता है ?
IPO वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक निजी कंपनी अपने शेयर पहली बार सार्वजनिक रूप से बेचती है, ताकि वह आम जनता से पूंजी जुटा सके। IPO के जरिए कंपनी का शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो जाता है, और आम लोग उसमें निवेश कर सकते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य कंपनी के विकास के लिए धन एकत्र करना है।
IPO की पूरी प्रक्रिया
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बोर्ड की मंजूरी
सबसे पहले, कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स IPO लाने के प्रस्ताव को मंजूरी देता है, और इसके बाद कंपनी IPO का प्रारूप तैयार करती है। -
इंवेस्टमेंट बैंक का चयन
कंपनी एक इंवेस्टमेंट बैंक या अंडरराइटर चुनती है, जो IPO की पूरी प्रक्रिया में मार्गदर्शन करता है। यह अंडरराइटर कंपनी का मूल्यांकन कर उचित मूल्य तय करते हैं। -
DRHP का ड्राफ्ट तैयार करना
कंपनी और अंडरराइटर मिलकर कंपनी की जानकारी और वित्तीय प्रदर्शन का दस्तावेज तैयार करते हैं, जिसे DRHP (Draft Red Herring Prospectus) कहते हैं। इसे SEBI के पास जमा किया जाता है। -
SEBI की मंजूरी
SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) DRHP का आकलन करता है और IPO को मंजूरी देता है, ताकि IPO प्रक्रिया पारदर्शी और निवेशकों के लिए सुरक्षित रहे। -
प्राइस बैंड और बिडिंग प्रक्रिया
कंपनी IPO में शेयरों का प्राइस बैंड तय करती है, और निवेशकों को शेयर के लिए बोली लगाने का अवसर मिलता है। -
बिडिंग और अलॉटमेंट
बिडिंग प्रक्रिया के बाद शेयर निवेशकों को अलॉट किए जाते हैं। यदि IPO ओवरसब्सक्राइब हो जाता है, तो लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से अलॉटमेंट होता है। -
स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग
IPO के बाद कंपनी का शेयर स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हो जाता है, और निवेशक अब इसे खरीद-बेच सकते हैं।
IPO का महत्व
- धन जुटाना IPO से कंपनी को विस्तार के लिए बड़ी पूंजी मिलती है।
- ब्रांड साख स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होने से कंपनी की साख बढ़ती है।
- निवेश का अवसर आम जनता के लिए कंपनी में निवेश का अवसर, जो दीर्घकाल में अच्छा रिटर्न दे सकता है।