Nifty CAGR vs Gold CAGR

Nifty CAGR vs Gold CAGR कौन-सा एसेट है बेहतर निवेश?

Nifty CAGR vs Gold CAGR कौन-सा एसेट बेहतर है?

1. ऐतिहासिक प्रदर्शन की तुलना

Nifty 50 CAGR

  • पिछले 10-20 वर्षों में
    • Nifty 50 Index का कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) औसतन 10-15% रहा है।
    • मुख्य कारण
      • भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि।
      • कॉरपोरेट अर्निंग्स में सुधार।
      • कैपिटल मार्केट में निवेश का विस्तार।

Gold CAGR

  • इसी अवधि में
    • सोने का CAGR लगभग 8-12% रहा है।
    • मुख्य कारण
      • मुद्रास्फीति से बचाव।
      • मुद्रा (खासकर USD-INR) में उतार-चढ़ाव।
      • वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और सुरक्षित निवेश की मांग।

Nifty CAGR vs Gold CAGR

2. हाल के रुझान (पिछले 5-10 वर्षों में)

  • Nifty 50 CAGR

    • औसतन 11-13%।
    • ड्राइविंग फैक्टर्स भारत की मजबूत GDP ग्रोथ, सरकारी सुधार, और डिजिटल अर्थव्यवस्था का विकास।
  • Gold CAGR

    • औसतन 8-10%।
    • ड्राइविंग फैक्टर्स भू-राजनीतिक तनाव, डॉलर की मजबूती, और निवेशकों की जोखिम से बचने की प्रवृत्ति।

3. कौन-सा एसेट कब बेहतर होता है?

Nifty (शेयर बाजार)

  • लाभ
    • लंबी अवधि में धन सृजन के लिए उपयुक्त।
    • कॉरपोरेट डिविडेंड्स और ग्रोथ कंपनियों से रिटर्न बढ़ता है।
  • किसके लिए
    • उच्च जोखिम सहने वाले निवेशक।
    • जिनका लक्ष्य लंबी अवधि में अधिक रिटर्न प्राप्त करना है।

Gold (सोना)

  • लाभ
    • धन सुरक्षित रखने और मुद्रास्फीति से बचाव का माध्यम।
    • आर्थिक संकट के समय मूल्य बनाए रखने में सक्षम।
  • किसके लिए
    • कम जोखिम लेने वाले निवेशक।
    • अस्थिर बाजार में बचाव चाहने वाले निवेशक।

Nifty CAGR vs Gold CAGR

4. विविधीकरण (डायवर्सिफिकेशन) की रणनीति

  • संतुलित पोर्टफोलियो
    • 60-70% निवेश इक्विटी (जैसे Nifty 50 या अन्य डाइवर्सिफाइड फंड्स)।
    • 10-15% निवेश सोने में।
    • शेष हिस्सा डेट फंड्स, रियल एस्टेट, या अन्य स्थिर निवेशों में।
  • यह रणनीति जोखिम और रिटर्न के बीच संतुलन बनाए रखती है।

निष्कर्ष

  • Nifty 50

    • लंबी अवधि में सोने की तुलना में बेहतर रिटर्न प्रदान करता है।
    • उच्च जोखिम सहने वाले निवेशकों के लिए आदर्श।
  • Gold

    • संकट के समय एक मजबूत सुरक्षा कवच।
    • मुद्रास्फीति और मुद्रा अवमूल्यन के खिलाफ बचाव का माध्यम।

निवेशकों को अपने उद्देश्यों, जोखिम सहने की क्षमता और समय सीमा के अनुसार दोनों एसेट्स में निवेश करना चाहिए।

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