Nifty Realty Index में गिरावट जारी
13 जनवरी को Nifty Realty Index में लगातार गिरावट का सिलसिला जारी रहा।
- इंट्राडे में यह इंडेक्स 4.5% तक टूटा, जिससे पिछले छह सत्रों में कुल गिरावट 12% तक पहुंच गई।
- पिछले सप्ताह भी रियल्टी इंडेक्स में 7.83% की गिरावट दर्ज की गई थी।
- मुख्य रूप से बड़े प्रोजेक्ट लॉन्च की कमी, कमजोर वैश्विक संकेत और उच्च ब्याज दरों के कारण रियल्टी सेक्टर दबाव में है।
गिरावट के पीछे मुख्य कारण
1. खराब बाजार स्थितियां
- भारतीय शेयर बाजार में करेक्शन का दौर जारी है, जिससे सेंटीमेंट्स कमजोर हुए हैं।
- High Bond Yields: अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड (4.76%) में तेजी आई है, जिससे ब्याज दर-संवेदनशील सेक्टर्स जैसे रियल एस्टेट पर भारी दबाव पड़ा है।
- मोतीलाल ओसवाल के रुचित जैन के अनुसार,
“उच्च यील्ड और कमजोर बाजार स्थितियों ने रियल्टी शेयरों पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।”
2. ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम होना
- हाल ही में जारी अमेरिकी जॉब रिपोर्ट में 256,000 नई नौकरियां जुड़ने से फेडरल रिजर्व के दरों में कटौती की संभावना कम हो गई है।
- रेजिडेंशियल सेगमेंट ब्याज दरों के प्रति बेहद संवेदनशील होता है।
- ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम होने से घर खरीदारों की मांग कमजोर पड़ सकती है।
3. लॉन्च में देरी और रेग्युलेटरी चुनौतियां
- RERA के तहत प्रोजेक्ट्स में देरी के कारण रियल एस्टेट सेक्टर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- HDFC Securities के मुताबिक,
“Q3FY25 में प्रोजेक्ट लॉन्च में कमी दर्ज की गई, हालांकि Q4FY25 में सुधार की उम्मीद है।”
- प्रमुख डेवलपर्स जैसे DLF और Godrej Properties द्वारा नए प्रोजेक्ट लॉन्च में कमी के कारण भी इंडेक्स पर दबाव बना हुआ है।
टेक्निकल व्यू
Support Levels और Recovery की उम्मीदें
- Key Support Zone: 870-860 के बीच है।
- रिलायंस सिक्योरिटीज के विकास जैन के अनुसार,
“Nifty Realty Index के 1,130-1,140 रेंज में डबल-टॉप बनना और 100-DMA (1040) के नीचे ब्रेकडाउन होने से बिकवाली का दबाव बढ़ा।”
- इंडेक्स 850-880 रेंज से उछाल दिखा सकता है, लेकिन रिकवरी सीमित रहने की संभावना है।
Global Events का असर
Uncertainty और US Dollar में मजबूती
- अमेरिकी ट्रेड पॉलिसी में संभावित बदलाव और टैरिफ में बढ़ोतरी से महंगाई बढ़ सकती है।
- ब्याज दरों में कटौती में देरी होने से अमेरिकी असेट्स ग्लोबल निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बन रही हैं।
- इससे US Dollar मजबूत हो रहा है, जिसके कारण भारतीय बाजारों में FII (Foreign Institutional Investors) की मुनाफावसूली बढ़ी है।