NSE और BSE में डेरिवेटिव्स और लॉट साइज में बड़े बदलाव

NSE और BSE में डेरिवेटिव्स और लॉट साइज में बड़े बदलाव

NSE और BSE में डेरिवेटिव्स और लॉट साइज में बड़े बदलाव

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने इंडेक्स डेरिवेटिव्स में कई महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है। इनमें लॉट साइज में बढ़ोतरी और साप्ताहिक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स की समाप्ति जैसे बदलाव शामिल हैं। ये नए नियम 20 नवंबर 2024 से लागू होंगे।

लॉट साइज में वृद्धि नए नियम

NSE और BSE ने इंडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) के लॉट साइज में बढ़ोतरी की है। नीचे कुछ प्रमुख इंडेक्स के पुराने और नए लॉट साइज की जानकारी दी गई है

इंडेक्स पुराना लॉट साइज नया लॉट साइज
Nifty 50 25 75
Bank Nifty 15 30
Nifty Midcap Select 50 120
Nifty Financial Services 25 65
BSE Sensex 10 20
BSE Bankex 15 30

ये बदलाव साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक और अर्धवार्षिक कॉन्ट्रैक्ट्स पर लागू होंगे।

साप्ताहिक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स की समाप्ति

नए SEBI नियमों के तहत, साप्ताहिक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स अब केवल एक एक्सचेंज पर उपलब्ध होंगे। इसके चलते NSE और BSE ने कुछ इंडेक्स के साप्ताहिक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स बंद करने की घोषणा की है।

साप्ताहिक कॉन्ट्रैक्ट्स का अंतिम व्यापार दिन

NSE और BSE में डेरिवेटिव्स और लॉट साइज में बड़े बदलाव

  • Nifty Bank 13 नवंबर 2024
  • SENSEX 50 14 नवंबर 2024
  • BANKEX 18 नवंबर 2024
  • Nifty Midcap Select 18 नवंबर 2024
  • Nifty Financial Services 19 नवंबर 2024

व्यापारियों और निवेशकों पर प्रभाव

  1. लॉट साइज में बढ़ोतरी

    • पहले Nifty 50 का लॉट साइज 25 था। अब 75 हो जाने से एक ट्रेड के लिए आवश्यक पूंजी बढ़ जाएगी।
    • उदाहरण
      • पुराने नियम में Nifty 50 ऑप्शन (100 रुपये प्रति प्रीमियम) का लॉट साइज ₹2,500।
      • नए नियम में वही लॉट साइज ₹7,500।
  2. मार्जिन की आवश्यकता

    • ऑप्शन बेचने वालों को अधिक मार्जिन की आवश्यकता होगी।
    • पहले Nifty 50 ऑप्शन का एक लॉट बेचने के लिए ₹70,000 का मार्जिन चाहिए था। अब यह बढ़कर ₹2,10,000 हो जाएगा।
  3. साप्ताहिक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स की समाप्ति

    • यह कदम बाजार की वोलाटिलिटी को नियंत्रित करेगा लेकिन व्यापारियों की रणनीतियों में बदलाव की आवश्यकता होगी।

बदलाव के लाभ और चुनौतियां

लाभ

  • बाजार में लिक्विडिटी और स्थिरता बढ़ेगी।
  • बड़े संस्थागत निवेशकों को बेहतर अवसर मिलेंगे।

चुनौतियां

  • छोटे व्यापारियों के लिए यह बदलाव महंगे सौदों की वजह से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • अधिक पूंजी की आवश्यकता नए व्यापारियों के लिए बाधा बन सकती है।

निष्कर्ष

NSE और BSE द्वारा किए गए ये बदलाव भारतीय डेरिवेटिव बाजार में एक नई दिशा का संकेत देते हैं। हालांकि, व्यापारियों और निवेशकों को इन बदलावों के अनुरूप अपनी रणनीतियों को समायोजित करना होगा। जो लोग इन बदलावों को समझकर योजनाबद्ध तरीके से काम करेंगे, वे इनसे लाभ उठा सकते हैं।

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