One State-One RRB

One State-One RRB’ नीति के तहत सरकार की नई रणनीति, जल्द हो सकते हैं RRBs लिस्टेड

सरकार की ‘One State-One RRB’ नीति 

सरकार ने ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था को अधिक प्रभावी और प्रतिस्पर्धा मुक्त बनाने के लिए ‘एक राज्य – एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (One State-One RRB)’ नीति लागू की है। इस नीति के लागू होने के बाद RRBs की संख्या देशभर में घटकर 28 रह गई है, जो पहले 43 थी।

 इस नीति का मुख्य उद्देश्य क्या है?

One State-One RRB

  • Operational Efficiency बढ़ाना

  • Public Sector Banks के बीच अनावश्यक प्रतिस्पर्धा को कम करना

  • ग्रामीण भारत में सशक्त और स्थायी बैंकिंग सिस्टम बनाना

  • RRBs को निवेशकों के लिए आकर्षक बनाना

RRBs की वर्तमान स्थिति

  • कुल RRBs 28

  • राज्यों में उपस्थिति: 26 राज्य और 2 केंद्रशासित प्रदेश

  • कुल शाखाएं 22,000+

  • ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी शाखाएं: 92% से अधिक

  • कवरेज: लगभग 700 ज़िलों में फैला नेटवर्क

 RRBs की लिस्टिंग योजना – 2026-27 तक IPO की तैयारी

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार की योजना है कि कुछ चुनी हुई RRBs को 2026-27 तक शेयर बाजार में लिस्ट किया जाए। इसका उद्देश्य है

  • RRBs को विश्वसनीय और उच्च मूल्य वाले संस्थानों के रूप में प्रस्तुत करना

  • Stakeholders और Investors के बीच भरोसा पैदा करना

  • RRBs के वित्तीय प्रदर्शन को पारदर्शी बनाना

 लिस्टिंग के लिए योग्यता मानक

  1. Net Worth – लगातार पिछले 3 वर्षों में ₹300 करोड़ या उससे अधिक

  2. Capital Adequacy Ratio (CAR) – लगातार तीन वर्षों तक 9% से अधिक

  3. Return on Equity (RoE) – पिछले 5 वर्षों में से कम से कम 3 वर्षों तक 10% से अधिक

  4. RBI के Corrective Action Framework के अंतर्गत न आना

 ग्रामीण बैंकिंग में RRBs की भूमिका

One State-One RRB

RRBs की 92% शाखाएं ग्रामीण या अर्द्ध-शहरी इलाकों में हैं, जो स्पष्ट रूप से दिखाता है कि वे भारत के ग्रामीण क्षेत्र में वित्तीय समावेशन को सशक्त बना रही हैं। RRBs:

  • कृषि ऋण

  • स्वरोजगार लोन

  • लघु उद्यम वित्त

  • जनधन और अन्य सरकारी योजनाएं

जैसी स्कीमों में मुख्य भागीदार बनी हुई हैं।

 निष्कर्ष

‘One State-One RRB’ नीति और लिस्टिंग की योजना सरकार की ग्रामीण बैंकिंग को अधिक सक्षम, पारदर्शी और निवेश योग्य बनाने की दिशा में एक साहसिक और सकारात्मक कदम है। इससे न केवल RRBs को नई पहचान मिलेगी बल्कि ग्रामीण भारत के आर्थिक ढांचे को भी मजबूत बनाया जा सकेगा।

आप क्या सोचते हैं?

क्या RRBs की लिस्टिंग से ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार आएगा?
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