Drone Warfare

भारत का फोकस अब Drone Warfare पर

भारत का फोकस अब Drone Warfare पर

Operation Sindoor एक ऐसा सैन्य अभियान बनकर उभरा है जिसने भारत की रक्षा रणनीति की दिशा ही बदल दी है। इस तीन दिवसीय ऑपरेशन ने साफ संकेत दे दिया कि भविष्य के युद्ध पारंपरिक हथियारों से नहीं, बल्कि ड्रोन, AI और नेटवर्क-सेंट्रिक सिस्टम्स से लड़े जाएंगे।

ऑपरेशन सिंदूर आधुनिक युद्ध की नई परिभाषा

Drone Warfare

पूर्व रक्षा सचिव जी. मोहन कुमार और L&T Defence के अरुण रामचंदानी के अनुसार, यह ऑपरेशन भारत की डिफेंस थिंकिंग के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ है।

“यह ऑपरेशन भले ही सीमित समय का था, लेकिन इसके नतीजे भारत की रक्षा प्राथमिकताओं को फिर से लिख रहे हैं।”

Drone और Swarm Systems अब वैकल्पिक नहीं, ज़रूरी हैं

  • अब भारत के लिए ड्रोन और Swarm Drone Systems एक ऑप्शन नहीं, बल्कि आवश्यक रणनीतिक संसाधन बन चुके हैं।

  • हालांकि भारत ने ड्रोन निर्माण में अच्छी प्रगति की है, लेकिन core टेक्नोलॉजी अभी भी आयात पर निर्भर है।

कुमार कहते हैं

“हमें अपने छोटे-से-छोटे कम्पोनेंट तक की तकनीक को स्वदेशी बनाना होगा, वरना आत्मनिर्भरता अधूरी रह जाएगी।”

 Low Asset – High Tech Warfare अब युद्ध का भविष्य

अरुण रामचंदानी के मुताबिक, Operation Sindoor ने यह साबित कर दिया कि अब युद्ध कम संसाधनों में ज़्यादा टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से लड़े जाएंगे। भारत का ध्यान अब इन क्षेत्रों पर केंद्रित है:

  • Net-centric warfare

  • Electronic warfare

  • Precision surveillance

  • Low cross-section drones

 ऑपरेशन सिंदूर की रणनीतिक सटीकता

Drone Warfare

  • यह ऑपरेशन एकदम सटीक और तकनीकी रूप से समृद्ध था।

  • Integrated Air Command and Control System (IACCS) और indigenous radar systems ने दुश्मन को चौंकाया।

कुमार बताते हैं

“पाकिस्तान को एक्शन की उम्मीद थी, फिर भी हमने उसे पूरी तरह से चौंका दिया – और यह सिर्फ smart systems से ही संभव हुआ।”

 BEL Systems और S-400 की निर्णायक भूमिका

भारत की air dominance हासिल करने में दो सिस्टम्स का बड़ा योगदान रहा

  1. BEL (Bharat Electronics Limited) द्वारा विकसित नेटवर्क-आधारित कमांड सिस्टम्स

  2. S-400 Missile Defence System, जिसने हवाई सुरक्षा को और मज़बूत किया

 असेंबली नहीं, असली आत्मनिर्भरता चाहिए

दोनों विशेषज्ञ इस बात पर ज़ोर देते हैं कि Make in India सिर्फ assembling तक सीमित नहीं रहना चाहिए।

“अगर किसी imported पुर्जे के बिना system काम नहीं करता, तो वो आत्मनिर्भर नहीं कहलाता।” – कुमार

 रक्षा मंत्रालय की नई दिशा Emergency Procurement

  • अब Ministry of Defence ने इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट की प्रक्रिया को तेज़ कर दिया है।

  • प्राथमिकता उन्हीं defence systems को दी जा रही है जो भारत में डिजाइन और डेवलप हुए हैं।

 अनुमानित बजट और ऑर्डर्स

रक्षा सूत्रों के मुताबिक, आगामी बजट में भारी निवेश की तैयारी है, जिसकी राशि 30,000 से 40,000 करोड़ रुपये तक हो सकती है। संभावित खरीद में शामिल हैं

  • Low-cost precision war material

  • AI-गाइडेड loitering drones

  • Advanced missile और radar systems

  • Autonomous defence platforms

निष्कर्ष

Operation Sindoor केवल एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि यह भारत की रक्षा रणनीति में एक बदलाव का प्रतीक है। यह दिखाता है कि अब युद्ध मैदान बदल चुका है – और भारत इस नई लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार हो रहा है, टेक्नोलॉजी, स्वदेशीकरण और रणनीतिक सोच के साथ।

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