रोलिंग ऑप्शन्स क्या है?

रोलिंग ऑप्शन्स क्या है? रणनीतियां और उदाहरण

रोलिंग ऑप्शन्स क्या है?

ऑप्शन्स ट्रेडिंग में “रोलिंग” एक आवश्यक रणनीति है, जिसका उपयोग निवेशक जोखिम को प्रबंधित करने, लाभ को लॉक करने, या नुकसान को कम करने के लिए करते हैं। यह रणनीति मौजूदा पोज़िशन को बंद कर, नई स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट के साथ एक नई पोज़िशन खोलने की प्रक्रिया है।

रोलिंग ऑप्शन्स का मतलब है मौजूदा ऑप्शन पोज़िशन को बंद करना और उसी दिशा में या विभिन्न स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट के साथ एक नई पोज़िशन खोलना।

मुख्य उद्देश्य

  1. लाभ को सुरक्षित करना।
  2. समय सीमा बढ़ाना।
  3. जोखिम कम करना।
  4. अतिरिक्त प्रीमियम अर्जित करना।

रोलिंग की आवश्यकता क्यों होती है?

रोलिंग की आवश्यकता क्यों होती है

  1. लाभ सुरक्षित करना (Locking Profits)
    जब आपकी मौजूदा पोज़िशन मुनाफे में हो, तो इसे एडजस्ट करके अधिक सुरक्षित बनाया जा सकता है।

  2. समय सीमा बढ़ाना (Extending Time)
    जब आपकी पोज़िशन का अनुमानित लक्ष्य एक्सपायरी तक पूरा नहीं होता, तो नई एक्सपायरी के साथ पोज़िशन रोल की जाती है।

  3. जोखिम कम करना (Reducing Risk)
    स्ट्राइक प्राइस बदलकर कम जोखिम वाली पोज़िशन बनाना।

  4. अतिरिक्त प्रीमियम कमाना (Collecting More Premium)
    ऑप्शन सेलर्स प्रीमियम अर्जित करने के लिए नई पोज़िशन खोलते हैं।

रोलिंग के प्रकार

रोलिंग करते समय ध्यान देने योग्य बातें

1. अप रोलिंग (Rolling Up)

मौजूदा पोज़िशन को उच्च स्ट्राइक प्राइस पर ले जाना।

  • उपयोग: जब बाजार में तेजी हो।
  • उदाहरण: Nifty के 18,000 के कॉल ऑप्शन को 18,200 पर रोल करना।

2. डाउन रोलिंग (Rolling Down)

मौजूदा पोज़िशन को निम्न स्ट्राइक प्राइस पर ले जाना।

  • उपयोग जब बाजार में मंदी हो।
  • उदाहरण Nifty के 18,000 के पुट ऑप्शन को 17,800 पर रोल करना।

3. फॉरवर्ड रोलिंग (Rolling Forward)

पोज़िशन को अगली एक्सपायरी डेट पर ले जाना।

  • उपयोग: अधिक समय की जरूरत हो।

4. कंबाइंड रोलिंग (Rolling Up and Forward)

स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट, दोनों में बदलाव।

  • उपयोग: जब बाजार अप्रत्याशित दिशा में मूव करे।

रोलिंग करते समय ध्यान देने योग्य बातें

रोलिंग करते समय ध्यान देने योग्य बातें

  1. लागत (Cost)
    हर बार पोज़िशन रोल करने पर ब्रोकरेज और शुल्क बढ़ते हैं।

  2. टाइम डिके (Time Decay)
    ऑप्शन्स की वैल्यू एक्सपायरी के करीब तेजी से घटती है।

  3. वॉलैटिलिटी (Volatility)
    इम्प्लाइड वॉलैटिलिटी रोलिंग की लागत और लाभ को प्रभावित करती है।

  4. बाजार का रुझान (Market Trend)
    रोलिंग से पहले बाजार की दिशा का सही आकलन करें।

रोलिंग के लाभ

  1. पोज़िशन में लचीलापन।
  2. अधिक समय सीमा और रणनीति बदलने का अवसर।
  3. जोखिम को कम करना।
  4. ऑप्शन सेलर्स के लिए अतिरिक्त प्रीमियम अर्जित करना।

रोलिंग के नुकसान

  1. बार-बार रोलिंग से अतिरिक्त लागत और शुल्क।
  2. बाजार के प्रतिकूल दिशा में जाने पर नुकसान बढ़ सकता है।
  3. रोलिंग केवल समय बढ़ाती है; गलत पोज़िशन को सही नहीं करती।

रोलिंग का उदाहरण

  • अप रोलिंग का उदाहरण
    आपने Nifty के 18,000 का कॉल ऑप्शन खरीदा है और Nifty 18,200 पर ट्रेड कर रहा है। आप अपनी पोज़िशन को 18,200 के कॉल ऑप्शन पर एडजस्ट कर सकते हैं।

  • फॉरवर्ड रोलिंग का उदाहरण
    अगर आपकी पोज़िशन एक्सपायरी के करीब है और अधिक समय चाहिए, तो आप इसे अगले महीने की एक्सपायरी तक रोल कर सकते हैं।

निष्कर्ष

ऑप्शन्स पोज़िशन को रोल करना एक शक्तिशाली रणनीति है, जो बाजार की बदलती परिस्थितियों में लाभ कमाने और जोखिम को प्रबंधित करने में मदद करती है। हालांकि, इसे अपनाने से पहले बाजार की दिशा, लागत और समय का सही मूल्यांकन करना जरूरी है।

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