पारस डिफेंस मशीन गन निर्माण की मंजूरी 

पारस डिफेंस मशीन गन निर्माण की मंजूरी से शेयरों में 10% की तेजी

पारस डिफेंस मशीन गन निर्माण की मंजूरी 

पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज को डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) द्वारा लाइट मशीन गन (LMG) बनाने का लाइसेंस प्राप्त हुआ है।

  • कंपनी MK-46 और MK-48 बेल्ट-फेड लाइट मशीन गन्स का उत्पादन करेगी।
  • हर मशीन गन की सालाना निर्माण क्षमता 6000 यूनिट्स है।
  • यह लाइसेंस आर्म्स एक्ट, 1959 के प्रावधानों के तहत जारी हुआ है और इसकी वैधता लाइफटाइम तक रहेगी।

पारस डिफेंस मशीन

कंपनी की रणनीति

पारस डिफेंस अब उन्नत रक्षा उत्पादों के निर्माण के जरिए भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए काम कर रही है। यह कदम मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूत करने में सहायक होगा।

शेयर बाजार में असर

लाइसेंस मिलने की खबर के बाद पारस डिफेंस के शेयरों में 10% की तेजी आई और यह मंगलवार को BSE पर 1066.50 रुपये तक पहुंच गया।

52-हफ्तों का प्रदर्शन

  • उच्चतम स्तर ₹1592.75
  • निम्नतम स्तर ₹608.75

पिछले एक साल में 40% का रिटर्न देने के बावजूद, हाल के 6 महीनों में 23% की गिरावट देखी गई है।

मौजूदा ऑर्डर बुक

पारस डिफेंस के पास वर्तमान में 850 करोड़ रुपये से अधिक की ऑर्डर बुक है। यह दर्शाता है कि कंपनी के पास कई बड़े प्रोजेक्ट्स पाइपलाइन में हैं।

IPO का इतिहास और निवेशकों को मिला रिटर्न

  • पारस डिफेंस का IPO 21-23 सितंबर 2021 के बीच सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था।
  • IPO का इश्यू प्राइस ₹175
  • लिस्टिंग प्राइस ₹475
  • मौजूदा प्राइस ₹1066.50 (7 जनवरी 2025 तक)

IPO सब्सक्रिप्शन डिटेल्स

  • ओवरऑल सब्सक्रिप्शन 304.26 गुना
  • रिटेल इनवेस्टर्स 112.81 गुना
  • NII 927.7 गुना
  • QIB 169.55 गुना

IPO में 175 रुपये पर अलॉट किए गए शेयर अब तक 510% तक बढ़ चुके हैं, जिससे यह निवेशकों के लिए बहुत लाभकारी साबित हुआ है।

पारस डिफेंस मशीन

भविष्य की योजनाएं

पारस डिफेंस की योजना डिफेंस और एयरोस्पेस के क्षेत्र में अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को बढ़ाने की है।

  1. लाइट मशीन गन निर्माण की क्षमता बढ़ाने के साथ कंपनी भारतीय रक्षा क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाने की ओर अग्रसर है।
  2. सैटेलाइट टेक्नोलॉजी और डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में नए उत्पाद लॉन्च करने की योजना है।
  3. कंपनी अपने अंतरराष्ट्रीय ग्राहक आधार को भी बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है।

चुनौतियां और जोखिम

  1. शेयरों की उच्च वोलैटिलिटी रक्षा क्षेत्र में ऑर्डर मिलने में देरी और बाजार की अस्थिरता कंपनी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है।
  2. प्रतिस्पर्धा भारतीय डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में अन्य कंपनियों से प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।

 

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