RBI की मॉनेटरी पॉलिसी Repo Rate और CRR
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की Monetary Policy Committee (MPC) ने Repo Rate को लगातार 11वीं बार 6.50% पर बरकरार रखा है।
आखिरी बार Repo Rate में बदलाव फरवरी 2023 में किया गया था।
Repo Rate वह दर होती है जिस पर RBI, बैंकों को कर्ज देता है। एनालिस्ट्स पहले ही अनुमान लगा चुके थे कि इस बार इसमें कोई कटौती नहीं होगी।
CRR घटाकर 4% किया गया
Cash Reserve Ratio (CRR) को 4.5% से घटाकर 4% कर दिया गया है।
CRR वह न्यूनतम राशि है जिसे बैंक, अपने कुल जमा का एक निश्चित प्रतिशत, RBI के पास नकद के रूप में जमा करते हैं।
इस कदम से बैंकों के पास लिक्विडिटी बढ़ेगी, जिससे वे अधिक लोन देने में सक्षम होंगे।
ग्रोथ रेट अनुमानों में बदलाव
RBI ने 2024-25 वित्त वर्ष के Growth Rate अनुमानों को संशोधित किया है।
वित्त वर्ष 2025
- नया अनुमान 6.6%
- पिछला अनुमान 7.2%
अक्टूबर-दिसंबर 2024 तिमाही
- नया प्रोजेक्शन 6.8%
- पिछला प्रोजेक्शन 7.4%
जनवरी-मार्च 2025 तिमाही
- नया प्रोजेक्शन 7.2%
- पिछला प्रोजेक्शन 7.4%
Repo Rate बरकरार रखने के फायदे और चुनौतियां
-
फायदे
- ब्याज दर स्थिर रहने से बैंकों को लोन की ब्याज दरों में बड़ा बदलाव नहीं करना पड़ेगा।
- उपभोक्ता कर्ज (जैसे होम लोन, कार लोन) की ब्याज दरों में स्थिरता रहेगी।
-
चुनौतियां
- ऊंची ब्याज दरें लंबे समय तक बने रहने से निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है।
- लोन लेने की लागत अधिक रहने से उपभोक्ता खर्च कम हो सकता है।
RBI के इस कदम का प्रभाव
- बैंकिंग सेक्टर CRR में कमी से बैंकों के पास अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध होगी।
- अर्थव्यवस्था Repo Rate स्थिर रखने से महंगाई दर नियंत्रण में रहने की उम्मीद।
- निवेश ग्रोथ रेट अनुमानों में कमी, निवेशकों को सतर्क कर सकती है।