RBI ने लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए उठाया बड़ा कदम
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) खरीद और डॉलर-रुपया बाय/सेल स्वैप ऑक्शन का ऐलान किया है। यह फैसला मौजूदा और संभावित लिक्विडिटी स्थितियों की समीक्षा के बाद लिया गया है।
OMO खरीद 1 लाख करोड़ रुपये की नीलामी
RBI ने घोषणा की है कि भारत सरकार की सिक्योरिटीज की OMO खरीद नीलामी 1 लाख करोड़ रुपये की कुल राशि में की जाएगी। यह खरीदारी दो चरणों में होगी:
- पहली किश्त 12 मार्च, 2025 (50,000 करोड़ रुपये)
- दूसरी किश्त 18 मार्च, 2025 (50,000 करोड़ रुपये)
डॉलर-रुपया स्वैप ऑक्शन का प्लान
इसके अलावा, 24 मार्च, 2025 को 36 महीने की अवधि के लिए 10 अरब अमेरिकी डॉलर की डॉलर/रुपया खरीद/बिक्री स्वैप नीलामी आयोजित की जाएगी।
डॉलर-रुपया स्वैप कैसे काम करता है?
डॉलर-रुपया स्वैप दो तरह से काम करता है:
- बाय/सेल स्वैप RBI बैंकों से रुपये के बदले डॉलर खरीदता है और बाद में डॉलर बेचने का वादा करता है।
- सेल/बाय स्वैप RBI डॉलर बेचता है और बाद में बैंकों से डॉलर वापस खरीदने का वादा करता है।
RBI के इस कदम का उद्देश्य क्या है?
- लिक्विडिटी मैनेजमेंट यह कदम बैंकिंग सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी बनाए रखने में मदद करेगा।
- मुद्रा विनिमय दरों पर नियंत्रण डॉलर-रुपया स्वैप से फॉरेक्स मार्केट में स्थिरता बनी रहेगी।
- आर्थिक स्थिरता यह कदम भारतीय वित्तीय प्रणाली को संतुलित रखने में सहायक होगा।
RBI की आगे की रणनीति
RBI ने स्पष्ट किया है कि
- हर ऑपरेशन के लिए विस्तृत दिशानिर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।
- बाजार और लिक्विडिटी कंडीशंस की लगातार निगरानी जारी रहेगी।
- बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी संतुलित रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।