रेपो रेट में 0.25% की कटौती

RBI ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की, रुपये पर दबाव बरकरार

RBI ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की

RBI के गवर्नर Sanjay Malhotra ने रुपये की गिरती कीमत पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक किसी भी निश्चित स्तर पर रुपये को नियंत्रित करने का लक्ष्य नहीं रखता, लेकिन बाजार में अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाता है।

हाल ही में रुपये पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump की टैरिफ घोषणाओं के कारण दबाव बढ़ा है। हालांकि, गवर्नर मल्होत्रा ने यह भी संकेत दिया कि आने वाले महीनों में रुपये की स्थिति में सुधार की संभावना बनी हुई है।

रेपो रेट में 0.25% की कटौती

RBI की ब्याज दरों में कटौती और भविष्य की नीति

रेपो रेट में 0.25% की कटौती

भारतीय रिजर्व बैंक की Monetary Policy Committee (MPC) ने लगातार 11 बैठकों तक ब्याज दरें स्थिर रखने के बाद 0.25% (25 बेसिस प्वाइंट) की कटौती करने का निर्णय लिया है। इस कटौती के बाद Repo Rate 6.50% से घटकर 6.25% हो गई है।

यह निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था में संभावित मंदी और खपत को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है।

आसान ऋण और ब्याज दरों में और कटौती के संकेत

MPC की बैठक के बाद गवर्नर Sanjay Malhotra और वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि RBI का मुख्य उद्देश्य सस्ते ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना है और आगे भी इसमें सुधार की संभावना बनी हुई है।

उन्होंने यह भी इशारा किया कि आने वाले महीनों में ब्याज दरों में और कटौती संभव हो सकती है, जिससे लोन की दरें और कम हो सकती हैं।

रेपो रेट में 0.25% की कटौती

भारतीय अर्थव्यवस्था और विकास दर

  • चालू वित्त वर्ष में भारत की GDP ग्रोथ रेट 6.4% रहने की उम्मीद है।
  • ब्याज दरों में कटौती से खपत (Consumption) और निवेश बढ़ेगा, जिससे ग्रोथ को गति मिलेगी।
  • सरकार और RBI दोनों मिलकर मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने पर काम कर रहे हैं।

वित्त मंत्री का बयान और बजट का प्रभाव

वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने कहा कि मौद्रिक (Monetary) और वित्तीय (Fiscal) नीतियां मिलकर भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का काम कर रही हैं।

उन्होंने 1 फरवरी को बजट में घोषणा की थी कि ₹12 लाख तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा। इससे मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी और भारतीय अर्थव्यवस्था को ₹1 लाख करोड़ का आर्थिक बूस्टर पैकेज मिलेगा।

निष्कर्ष

RBI की ब्याज दरों में कटौती और रुपये पर बढ़ते दबाव के बीच निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है। अगर ब्याज दरें और घटती हैं, तो होम लोन, ऑटो लोन और अन्य ऋण सस्ते हो सकते हैं, जिससे बाजार में नई ऊर्जा आ सकती है।

क्या आपको लगता है कि RBI की यह कटौती सही समय पर हुई है? अपनी राय कमेंट में साझा करें!

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