Samir Arora की वैश्विक निवेश रणनीतियों पर राय भारत बनाम चीन और तेल की कीमतों का प्रभाव
Samir Arora, एक प्रमुख निवेश विशेषज्ञ, ने हाल ही में भारत और चीन के बाजारों की तुलना और वैश्विक निवेश के रुझानों पर अपनी राय साझा की। उनके अनुसार, यह धारणा कि विदेशी निवेशक ‘India Sell, China Buy’ रणनीति अपनाएंगे, व्यापक रूप से लागू नहीं होती। कुछ निवेशक परिसंपत्तियों की कमी के कारण चीन में निवेश कर सकते हैं, लेकिन इसे बड़ी रणनीति नहीं माना जा सकता।
चीन और भारत निवेशकों की प्राथमिकताएं
जब चीन का बाजार अच्छा प्रदर्शन करता है, तो इसका प्रभाव एशिया के अन्य देशों और निवेश फंड्स, जैसे कि Emerging Markets Funds और Asia-Pacific Funds पर भी पड़ता है। चीन के बेहतर प्रदर्शन से भारत को भी फायदा हो सकता है। इसके विपरीत, यदि चीन का प्रदर्शन कमजोर होता है, तो इसका असर पूरे एशिया पर दिखाई देता है, जिससे भारत भी प्रभावित हो सकता है।
हालांकि, चीन के खराब प्रदर्शन के समय भारत तुलनात्मक रूप से बेहतर दिखाई दे सकता है, असली लाभ तब होता है जब पूरे एशिया का प्रदर्शन मजबूत हो। निवेशक उन बाजारों में अधिक रुचि दिखाते हैं, जो तुलनात्मक रूप से सस्ते होते हैं, और इस समय चीन के हालिया उछाल के बाद, भारतीय बाजार सस्ता दिखाई दे रहा है।
भारतीय म्यूचुअल फंड्स का दृष्टिकोण
भारतीय म्यूचुअल फंड्स इस समय नकदी पर बैठे हैं। अगर अमेरिकी या चीनी बाजारों में प्रोत्साहन मिलते हैं और उनका प्रदर्शन बेहतर होता है, तो भारतीय फंड मैनेजर्स भी बाजार में आत्मविश्वास से निवेश करेंगे। यह स्थिति भारतीय शेयर बाजार के लिए सकारात्मक हो सकती है, क्योंकि फंड्स बाजार में अधिक पूंजी लगाएंगे।
भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी चुनाव का प्रभाव
समीर अरोड़ा ने इज़राइल और अन्य संघर्षों का उल्लेख करते हुए कहा कि वैश्विक बाजार अभी भी इन परिस्थितियों को नियंत्रित मान रहे हैं। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि ये संघर्ष कितने गंभीर हो सकते हैं। अमेरिकी चुनावों का नतीजा भी वैश्विक राजनीति और बाजारों पर असर डाल सकता है। अगर Donald Trump पुनः राष्ट्रपति बनते हैं, तो इज़राइल को और अधिक समर्थन मिल सकता है, जबकि Kamala Harris की जीत शांति समझौते पर जोर दे सकती है।
तेल की कीमतें स्थिरता या गिरावट?
इस समय Crude Oil की कीमतें $75 पर स्थिर हैं। अगर इज़राइल का संघर्ष और गंभीर होता, तो इन कीमतों में बड़ी उछाल की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। सऊदी अरब के अनुसार, तेल की कीमतें $50 तक गिर सकती हैं, जो वैश्विक निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है।
समीर अरोड़ा के अनुसार, अगर Trump जीतते हैं, तो उनकी मध्य पूर्व नीति और तेल ड्रिलिंग पर प्रतिबंधों में कमी से तेल की कीमतों पर दबाव कम हो सकता है, जिससे बाजारों को स्थिरता मिलेगी।
निष्कर्ष
समीर अरोड़ा का मानना है कि वैश्विक निवेशक अभी भी बाजार को नियंत्रित मान रहे हैं। तेल की स्थिर कीमतें और बाजारों का न गिरना इसी मानसिकता का संकेत है। निवेशकों की सामूहिक सोच के आधार पर, बाजार की दिशा निर्धारित हो रही है। वैश्विक और क्षेत्रीय बाजारों के प्रदर्शन में संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है, खासकर जब निवेशकों की रणनीतियाँ लगातार बदल रही हैं।