SEBI के नए F&O नियम बड़े बदलाव नए नियम मुख्य बदलाव और उनका प्रभाव
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में Futures and Options (F&O) बाजार में नए नियम लागू किए हैं। इन नियमों का उद्देश्य डेरिवेटिव्स मार्केट में जोखिम को कम करना और उन निवेशकों को आकर्षित करना है जो बाजार को गहराई से समझते हैं। इन बदलावों की मुख्य वजह रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी है, जिनमें से कई बिना पर्याप्त जानकारी के इस जटिल क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं। आइए जानते हैं इन नियमों के मुख्य बिंदुओं और उनके संभावित प्रभावों के बारे में
1. Index futures contract value
SEBI ने इंडेक्स फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट का साइज बढ़ाकर 15 लाख रुपए कर दिया है, जो पहले 5-10 लाख रुपए के बीच था। इस बदलाव से उम्मीद की जा रही है कि इससे बड़े निवेशक अधिक सक्रिय होंगे, जबकि रिटेल निवेशक जो छोटे मार्जिन पर ट्रेड करते थे, उनके लिए कठिनाइयां बढ़ेंगी क्योंकि उन्हें अब अधिक margin की आवश्यकता होगी।
- प्रभाव रिटेल निवेशकों की भागीदारी कम हो सकती है, जबकि बड़े संस्थागत निवेशक (Institutional Investors) अधिक सक्रिय हो सकते हैं।
2. Weekly expiry
अब केवल प्रमुख इंडेक्स जैसे NSE पर Nifty और BSE पर Sensex की साप्ताहिक एक्सपायरी होगी, जबकि बाकी सभी डेरिवेटिव्स की मासिक एक्सपायरी कर दी गई है। इसका उद्देश्य एक्सपायरी के दिन होने वाले उतार-चढ़ाव और सट्टेबाजी (speculation) को कम करना है।
- प्रभाव छोटे निवेशक और सट्टेबाजों की भागीदारी घट सकती है, जिससे बाजार में स्थिरता बढ़ेगी।
3. Options trading rules
1 फरवरी 2025 से ऑप्शन ट्रेडर्स को ऑप्शन खरीदते समय अपफ्रंट प्रीमियम देना होगा। इससे ऑप्शन ट्रेड्स में अनियंत्रित निवेश में कमी आएगी, जो अक्सर बाजार में अस्थिरता का कारण बनते हैं।
- प्रभाव Liquidity में थोड़ी गिरावट आ सकती है, क्योंकि ट्रेडर्स को अब पहले से अधिक पूंजी की आवश्यकता होगी।
4. Increase in margin
एक्सपायरी के दिन शॉर्ट ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स पर 2% Extreme Loss Margin (ELM) लागू होगा। इसका मतलब है कि ट्रेडर्स को अब अपने शॉर्ट पोजीशन पर ज्यादा मार्जिन देना होगा।
- प्रभाव उच्च मार्जिन की आवश्यकता के कारण छोटे निवेशक और शॉर्ट ट्रेडर्स के लिए लागत बढ़ जाएगी, जिससे ट्रेडिंग में कमी हो सकती है।
5. Intraday position monitoring
1 अप्रैल 2025 से एक्सचेंज और क्लीयरिंग कॉर्प्स द्वारा इंट्राडे ट्रेड्स की मॉनिटरिंग की जाएगी, जिससे इंट्राडे ट्रेडर्स को अधिक मार्जिन की आवश्यकता होगी। साथ ही, उनके ट्रेड्स पर अब कड़ी नजर रखी जाएगी ताकि बाजार में सट्टेबाजी और अत्यधिक जोखिम वाली ट्रेडिंग को रोका जा सके।
- प्रभाव इंट्राडे ट्रेडर्स को अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ेगी, और ट्रेडिंग की लागत बढ़ सकती है।
नए नियमों के संभावित प्रभाव
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F&O वॉल्यूम में कमी रिटेल निवेशकों के लिए बढ़ी हुई मार्जिन आवश्यकताओं और प्रीमियम भुगतान की वजह से F&O ट्रेडिंग वॉल्यूम में थोड़ी कमी आ सकती है।
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रिटेल सट्टेबाजी में कमी नए नियमों के तहत, सट्टेबाजी और अनियंत्रित निवेश को हतोत्साहित किया जाएगा। इससे छोटे निवेशकों की सट्टेबाजी कम होगी, जो अक्सर उच्च जोखिम के कारण नुकसान उठाते हैं।
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Algo Trading पर असर Algo Trading, मशीन ट्रेड, Prop Trade, और Arbitragers पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है, क्योंकि नए नियमों के कारण ऑपरेशन की लागत बढ़ जाएगी।
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ब्रोकर्स के व्यवसाय पर प्रभाव बढ़ी हुई मार्जिन आवश्यकताओं और ट्रेडिंग नियमों के कारण ब्रोकर्स को भी कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। उनका व्यवसाय प्रभावित हो सकता है, क्योंकि रिटेल निवेशकों की भागीदारी घटेगी।
निष्कर्ष
SEBI द्वारा लागू किए गए ये नए नियम F&O बाजार में जोखिम को कम करने और बाजार में स्थिरता लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। यह बदलाव लंबे समय के निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं, क्योंकि जोखिम कम होने से बाजार की अस्थिरता घटेगी। हालांकि, रिटेल निवेशकों और छोटे ट्रेडर्स के लिए इन नए नियमों के कारण चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं, विशेष रूप से मार्जिन की बढ़ी हुई आवश्यकताएँ और नए प्रीमियम भुगतान नियम।