SEBI के नए नियम – ट्रेडिंग वॉल्यूम में गिरावट
SEBI के नए नियम और उनका असर
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा लागू किए गए नए नियमों ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) सेगमेंट में ट्रेडिंग वॉल्यूम को प्रभावित किया है।
इन बदलावों का प्रभाव विशेष रूप से निफ्टी बैंक, बैंकेक्स, निफ्टी और सेंसेक्स जैसे सेगमेंट्स पर देखा गया।
मुख्य प्रभाव गिरावट और सुधार
निफ्टी बैंक और बैंकेक्स में गिरावट
- Nifty Bank
- औसतन डेली ट्रेडिंग वैल्यू 33% घटकर 18,250 करोड़ रुपये से 12,259 करोड़ रुपये रह गई।
- Bankex
- टर्नओवर में 98% की गिरावट।
- पहले 1,927 करोड़ रुपये, अब केवल 41 करोड़ रुपये।
निफ्टी और सेंसेक्स में सुधार
- निफ्टी
- वीकली एक्सपायरी की वजह से डेली टर्नओवर 29,474 करोड़ रुपये से बढ़कर 41,301 करोड़ रुपये।
- सेंसेक्स
- डेली टर्नओवर 7,301 करोड़ रुपये से बढ़कर 8,314 करोड़ रुपये।
NSE और BSE ऑप्शंस वॉल्यूम
- NSE
- ऑप्शंस वॉल्यूम 59,615 करोड़ रुपये से बढ़कर 62,511 करोड़ रुपये।
- BSE
- ऑप्शंस वॉल्यूम 9,228 करोड़ रुपये से घटकर 8,355 करोड़ रुपये।
विशेषज्ञों की राय
अक्षय चिंचालकर (Axis Securities)
- वीकली एक्सपायरी में सीमित विकल्प।
- नए नियमों के कारण हाई मार्जिन की जरूरत।
- विदेशी निवेशकों द्वारा पोजीशन हल्की की गई।
- बिकवाली का दबाव और अत्यधिक वोलैटिलिटी।
श्रेय जैन (SAS Online)
- निफ्टी और सेंसेक्स की वीकली एक्सपायरी ने ट्रेडर्स की रणनीतियों को बदला।
- बैंक निफ्टी और बैंकेक्स से ट्रेडर्स का झुकाव अब निफ्टी और सेंसेक्स की ओर।
SEBI के नियमों का उद्देश्य
- मार्जिन आवश्यकताओं में बदलाव
- ट्रेडिंग गतिविधियों को व्यवस्थित करना।
- वोलैटिलिटी को नियंत्रित करना।
- निवेशकों की सुरक्षा
- अधिक ट्रांसपेरेंसी और जोखिम प्रबंधन।
- मॉनेटरी पॉलिसी के प्रभाव
- ट्रेडिंग पर प्रतिबंधों का असर।
F&O सेगमेंट की ओवरऑल परफॉर्मेंस
- NSE का ऑप्शंस टर्नओवर में हल्की वृद्धि, लेकिन
- BSE में गिरावट ने यह दिखाया कि नए नियमों के कारण ट्रेडर्स का रुझान बदल रहा है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, यह सेगमेंट विशिष्ट अस्थिरता का परिणाम है।
क्या करें ट्रेडर्स?
- नए नियमों को समझें SEBI के बदलावों के अनुसार ट्रेडिंग रणनीति तैयार करें।
- लॉन्ग-टर्म दृष्टिकोण अपनाएँ कम जोखिम और उच्च रिटर्न पर फोकस करें।
- सेक्टर आधारित निवेश निफ्टी और सेंसेक्स जैसे स्टॉक्स पर ध्यान दें।
निष्कर्ष
ट्रेडर्स को बाजार के नए नियमों और बदलते रुझानों के अनुसार अपनी रणनीतियाँ तैयार करनी चाहिए।