शेयर बायबैक क्या होता है ?
शेयर बायबैक एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कंपनियां अपने मौजूदा शेयरधारकों से कंपनी के शेयर वापस खरीदती हैं। यह प्रक्रिया या तो Tender Offer या Open Market के जरिए पूरी की जाती है, और अक्सर कंपनियां शेयरों को बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर खरीदती हैं।
Tender Offer के तहत, शेयरधारक एक तय समय सीमा के भीतर अपने शेयर कंपनी को बेच सकते हैं, जबकि Open Market में कंपनी द्वितीयक बाजार से अपने शेयर खरीदती है। Share Buyback को मौजूदा शेयरधारकों को लाभांश के अलावा पुरस्कृत करने का एक तरीका भी माना जाता है।
शेयर बायबैक के कारण
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Excess Cash, Limited Investment Options
कंपनियों के पास नकदी की प्रचुरता होती है, लेकिन निवेश के पर्याप्त अवसर नहीं होते। ऐसे में कंपनियां शेयर बायबैक करके अपनी नकदी का बेहतर उपयोग करती हैं। -
Tax Efficiency
बायबैक, लाभांश के मुकाबले अधिक कर-कुशल होता है, क्योंकि इस पर केवल Dividend Distribution Tax (DDT) लगता है। -
Strengthening Control over Company
शेयर बायबैक से कंपनियां अपने Voting Rights को मजबूत कर सकती हैं, और अपने नियंत्रण को बेहतर बना सकती हैं। -
Indicating Undervaluation of Stock
जब कंपनी अपने शेयर वापस खरीदती है, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि कंपनी को लगता है कि उसके शेयरों का मूल्यांकन कम है।
शेयर बायबैक के प्रभाव
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EPS (Earnings Per Share) पर प्रभाव
बायबैक के बाद शेयरों की संख्या घट जाती है, जिससे कंपनी के EPS में वृद्धि होती है। -
Financial Statements पर प्रभाव
शेयर बायबैक पर खर्च की गई राशि कंपनी के Cash Flow Statement और Retained Earnings पर दर्ज की जाती है। इससे कंपनी की बैलेंस शीट में नकदी और कुल संपत्ति में कमी आती है। -
Company Portfolio पर प्रभाव
भविष्य की संभावनाओं में भरोसा रखने वाली कंपनियां अक्सर बायबैक करती हैं, जिससे निवेशकों के बीच कंपनी की प्रतिष्ठा बढ़ती है। -
Shareholder Value पर प्रभाव
बायबैक के बाद EPS में वृद्धि से निवेशकों को कंपनी में अधिक मुनाफे की संभावना दिखाई देती है, जिससे यह स्टॉक उनके लिए आकर्षक विकल्प बन जाता है।
शेयर बायबैक का महत्व
जब कंपनी Share Buyback की घोषणा करती है, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि कंपनी के पास मजबूत संभावनाएं हैं। यह निवेशकों को कंपनी के भविष्य की योजनाओं के प्रति विश्वास दिलाता है। हालांकि, कुछ कंपनियां बायबैक का सहारा तब लेती हैं जब उनके शेयरों का मूल्यांकन गिरने लगता है। इसलिए, निवेशकों को बायबैक के कारणों और बाजार के रुझानों पर ध्यान देना चाहिए ताकि वे सही निवेश निर्णय ले सकें।