Supreme court stocksadda.com

Supreme court ने SEBI, NSE और BSE पर बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा लगाए गए ₹80 लाख के जुर्माने को रद्द किया

Supreme court का महत्वपूर्ण फैसला: सेबी, एनएसई और बीएसई पर लगे ₹80 लाख के जुर्माने को किया रद्द

Supreme court stocksadda.com

केस की पृष्ठभूमि

2020 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सेबी (Securities and Exchange Board of India), एनएसई (National Stock Exchange), और बीएसई (Bombay Stock Exchange) पर ₹80 लाख का जुर्माना लगाया था। यह जुर्माना निवेशकों की शिकायतों के समाधान में देरी और नियामकों की निष्क्रियता के आधार पर लगाया गया था। हाई कोर्ट का मानना था कि इन संस्थाओं ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया और निवेशकों के हितों की अनदेखी की।

Supreme court का हस्तक्षेप

Supreme court ने इस मामले की पुन: जांच की और बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि जुर्माने की राशि अनुचित रूप से लागू की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सेबी और अन्य वित्तीय संस्थाओं ने अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने की कोशिश की थी और उन्हें इस प्रकार के जुर्माने का सामना नहीं करना चाहिए।

Supreme court का निर्णय और इसका महत्व

stocksadda.com nse

Supreme court का यह निर्णय कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है:

  1. नियामक संस्थाओं की रक्षा:
    यह निर्णय इस बात पर जोर देता है कि नियामक संस्थाओं को अनुचित दंडों से बचाया जाना चाहिए, बशर्ते वे अपने कर्तव्यों का पालन कर रही हों।

  2. निवेशकों और नियामकों के बीच संतुलन:
    यह निर्णय वित्तीय नियामकों और निवेशकों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। नियामक संस्थाओं को अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभाना चाहिए, लेकिन उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए जब वे उचित कदम उठा रहे हों।

  3. न्यायिक समीक्षा:
    Supreme court ने बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्णय की समीक्षा करके यह साबित किया कि न्यायालयों को नियामक संस्थाओं के खिलाफ किसी भी कठोर कार्रवाई से पहले तथ्यों की गहनता से जांच करनी चाहिए।

बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश और विवाद

बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2020 में अपने आदेश में कहा था कि सेबी, एनएसई, और बीएसई ने निवेशकों की शिकायतों का समाधान करने में अनावश्यक देरी की और इस वजह से इन पर ₹80 लाख का जुर्माना लगाया गया था। हाई कोर्ट का मानना था कि निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नियामक संस्थाओं की निष्क्रियता अस्वीकार्य थी।

सुप्रीम कोर्ट का अंतिम आदेश

Supreme court ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए यह स्पष्ट किया कि जुर्माने की राशि अनुचित तरीके से तय की गई थी। कोर्ट ने कहा कि सेबी और अन्य वित्तीय संस्थाओं ने अपनी जिम्मेदारियों का पालन किया था और उन्हें इस प्रकार के जुर्माने का सामना नहीं करना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ, बॉम्बे हाई कोर्ट के जुर्माने का आदेश समाप्त हो गया।

निर्णय का प्रभाव

यह फैसला भारतीय वित्तीय नियामक संस्थाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी मिसाल है। यह मामला इस बात को रेखांकित करता है कि नियामक संस्थाओं को निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए, लेकिन उन्हें अनुचित दंडों से भी बचाया जाना चाहिए।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *